लोकसभा ने गुरुवार (27 दिसंबर) को गर्मा गरम बहस, तीखी नोकझोक और विपक्ष के वॉकआउट के बीच तीन तलाक पर संशोधित बिल (‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2018’ पास कर दिया। इस दौरान सत्ता पक्ष ने जहां कांग्रेस समेत तमाम विपक्ष पर मुस्लिम महिलाओं के प्रति दशकों तक अन्याय के लिए माफी मांगने की बात कही, वहीं विपक्षी नेताओं ने लोकसभा चुनावों के मद्देनजर तीन तलाक पर बिल लाने का आरोप लगाया। इन सबके बीच चर्चा में भाग लेते हुए केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि तमाम इस्लामिक देशों ने एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) पर रोक लगा रखी है और उसे अपराध बना रखा है तो भारत में इसका विरोध क्यों हो रहा है? उन्होंने कहा कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान ने भी तीन तलाक को प्रतिबंधित करते हुए उसे अपराध घोषित कर दिया है। अब आरोप लग रहे हैं कि नकवी ने सदन में पाकिस्तान पर गलत जानकारी दी है।

उन्होंने कहा, “वो तमाम इस्लामिक देश जो इस्लामिक मूल्यों, मान्यताओं को मानते हैं, दशकों पहले तीन तलाक की कुप्रथा को बैन कर चुके हैं और उसे अपराध घोषित कर चुके हैं। 1929 में सूडान में तीन तलाक को अपराध घोषित किया गया। 1956 में पाकिस्तान (आजादी के फौरन बाद) ने तीन तलाक को गैर कानूनी भी घोषित किया और अपराध भी घोषित कर दिया। 1972 में बांग्लादेश ने, 1959 में इराक ने 1953 में सीरिया, 1969 में मलेशिया ने इस पर रोक लगाई।” नकवी सदन में दोपहर करीब 3 बजकर 50 मिनट के आसपास तीन तलाक पर अपनी बात रख रहे थे।

वीडियो देखें- नकवी ने क्या कहा था? (11.55 मिनट से)

जब केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद तमाम विपक्षी सदस्यों की आपत्तियों पर शाम करीब 6 बजे सदन में जवाब दे रहे थे तब उन्होंने नकवी के बयान से उलट संसद को बताया कि भारत में तीन तलाक को बैन करने और उसे अपराध घोषित करने पर पाकिस्तान भारत से सीख ले रहा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में तीन तलाक अपराध नहीं है लेकिन वहां अब भारत की पहल को देखते हुए इसकी पहल शुरू की है। उन्होंने कहा, “भारत को देखकर पाकिस्तान में भी इसे अपराध बनाने की योजना चल रही है। वहां की इस्लामिक काउंसिल ने तीन तलाक को पाकिस्तान में भी अपराध बनाने का सुझाव दिया है। यानी भारत से पाकिस्तान भी सीख ले रहा है।”

वीडियो देखें- रविशंकर प्रसाद ने क्या कहा? (16.35 मिनट से)

बता दें कि काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी (सीआईआई) पाकिस्तान की एक संवैधानिक संस्था है, जो सरकार और संसद को इस्लामी मुद्दों पर कानूनी सलाह देने के लिए जिम्मेदार है। इसकी स्थापना 1962 में अयूब खान की सरकार ने की थी। पाकिस्तान के अखबार ट्रिब्यून में सितंबर, 2018 में ऐसी खबर छपी थी कि सीआईआई ने पुराने तलाकनामा को बदलते हुए उसे दंडनीय अपराध बनाने की सिफारिश की है। यानी पाकिस्तान में तीन तलाक फिलहाल दंडनीय अपराध नहीं है, जबकि नकवी इसे पाकिस्तान में भी अपराध घोषित हुआ बता रहे थे।