राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर उठा विवाद शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। उन्होंने मुजफ्फरपुर में कहा था कि युद्ध की स्थिति में उनके स्वयंसेवक महज दो से तीन दिन में तैयार हो जाएंगे, जबकि सेना को छह से सात महीने का वक्त लग जाएगा। गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने उनके इस बयान का बचाव किया था। केंद्रीय मंत्री ने ट्वीट किया, ‘भारतीय सेना हमारा गौरव है। आपात परिस्थितियों (कांग्रेस वाला आपात नहीं) में प्रत्येक नागरिक को सुरक्षाबलों के साथ होना चाहिए। भागवत जी ने सिर्फ इतना कहा कि एक व्यक्ति को प्रशिक्षित करने में 6-7 महीने का वक्त लगता है और यदि संविधान इजाजत दे तो आरएसएस के कैडर में भी योगदान देने की क्षमता है।’ ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता और राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ-ब्रायन ने गृह रज्यमंत्री के इस बयान पर तंज कसा है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘एमओएस (मिनिस्टर ऑफ स्टेट) अब मिनिस्टर ऑफ संघ बन गए हैं।’ आरएसएस प्रमुख के बयान का भाजपा और संघ के नेता जहां बचाव कर रहे हैं, वहीं कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल भागवत के बयान को सेना का अपमान बताकर उसकी आलोचना कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री रिजिजू द्वारा संघ प्रमुख का बचाव करने की लोगों ने भी तीखी आलोचना की है।
Indian Army is our pride. In emergency situation(not congress emergency) every Indian must volunteer to stand with Defence Forces. Bhagwat ji only said it takes 6-7 months for a person to be a trained soldier & if Constitution permits RSS cadres has the ability to contribute.
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) February 12, 2018
The MoS (Minister of State) has now become the Minster of Sangh
— Derek O'Brien (@derekobrienmp) February 12, 2018
Let all Indians remember-
They vilified Gandhi,
They slandered Nehru,
They slammed Patel,
They attacked Ambedkar.They didn’t fly the Tricolour for 52 yrs,
They don’t admit women to Shakha for 92 yrs.Now, Sangh insults Army’s valour.
We, the Indians,reject ur DNA of division pic.twitter.com/WwPdW7CBJL
— Randeep S Surjewala (@rssurjewala) February 12, 2018
कांग्रेस नेता और मीडिया सेल के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी भागवत के बयान की कड़ी आलोचना की है। सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘सभी भारतवासियों को याद दिलाना चाहूंगा कि उन्होंने गांधी को बदनाम किया, उन्होंने नेहरू पर लांछन लगाया, उन्होंने पटेल की आलोचना की और उन्होंने अंबेडकर पर हमला बोला। उन्होंने 52 वर्षों तक तिरंगा नहीं फहराया, उन्होंने महिलाओं को 92 वर्षों तक शाखा में आने नहीं दिया…और अब उन्होंने सेना के पराक्रम का अपमान किया है। हम भारत के लोग विभाजन के इस डीएनए को खारिज करते हैं।’ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत मुजफ्फरपुर में संघ के पांच दिवसीय कार्यक्रम में स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए यह बात कही थी। संघ के अलावा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी भागवत का बचाव किया था। वहीं, इस मुद्दे पर धीरे-धीरे पूरा विपक्ष लामबंद हो रहा है। टीएमसी ने बीएसएफ के महानिदेशक केके शर्मा के आरएसएस से जुड़े एक संगठन के कार्यक्रम में वर्दी पहन कर शामिल होने पर भी कड़ी आपत्ति जताई थी। ममता की पार्टी ने इस मसले को गृह मंत्रालय के समक्ष ले जाने की चेतावनी दी।