संजीव शर्मा
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले में जवानों की शहादत ने जहां देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हमले में शहीद हुए जवानों में पंजाब के भी चार जवान शामिल हैं। किसी का बेटा, किसी का पति तो किसी का पिता हमेशा के लिए खो गया। किसी के बुढ़ापे की लाठी टूट गई तो कहीं नवजात के सिर से पिता का साया उठ गया। हालांकि आंखों में आंसू, दिल में दर्द लिए बिलखते परिजनों का सीना गर्व से जरूर तना है कि उनका अपना देश के लिए कुर्बान हो गया। इन शहीदों में पंजाब के मोगा स्थित कोट इस्सेखां के जयमल सिंह, तरनतारन के गांव गंडीविंड धत्तल के सुखजिंदर सिंह, आनंदपुर साहिब के गांव रौली के कुलविंदर सिंह और गुरदासपुर के आर्यनगर के मनिंदर अत्री शामिल हैं।
इकलौते बेटे के चले जाने का पहाड़ सा दुख
इस आतंकी हमले में पंजाब के रोपड़ जिले के नूरपुरबेदी के गांव रोली निवासी कुलविंदर सिंह की शहादत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। कुलविंदर सिंह इकलौते बेटे थे। इसके बावजूद परिजनों को उनकी शहादत पर फख्र है। कुलविंदर के पिता पेशे से ट्रक चालक रहे हैं। बेटे के सेना में भर्ती होने के बाद उन्होंने यह काम छोड़ दिया था। कुलविंदर की मां की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है।
कुलविंदर ही बूढ़े माता-पिता के एकमात्र सहारा थे। शहीद के परिवारिक सदस्यों के अनुसार पिछले सप्ताह ही कुलविंदर की सगाई हुई थी। इस साल नवंबर में शादी होनी थी। सगाई के बाद ड्यूटी पर जाते समय वे यह कहकर गए थे कि मार्च में कुछ दिन के लिए आकर घर को ठीक करवाएंगे और तभी शादी की खरीदारी भी कर ली जाएगी। परिजनों ने बताया कि वे अक्सर एक दिन छोड़कर घर पर फोन करते थे। गुरुवार शाम जब फोन आया तो पिता ने सोचा कि शायद उनके बेटे का फोन आया है लेकिन वह फोन बेटे के किसी दोस्त का था, जिसने उन्हें यह दुखद खबर दी। खबर मिलते ही शोक में डूबे गांववाले कुलविंदर के घर जमा हो गए।
फोन पर कहा था जल्द ही बेटे के लिए खिलौने भेजूंगा
शहीदों की इस सूची में पंजाब के तरनतारन जिले के गांव गंडीविंड धत्तल के सुखजिंदर का नाम भी शामिल है। सुखजिंदर की शहादत की खबर जब पहुंची तो पूरे गांव में मातम फैल गया। शादी के आठ साल बाद सुखजिंदर के बेटा हुआ था जिसकी उम्र अभी केवल आठ माह है। शहीद के भाई गुरजंट सिंह जंटा ने परिवार को इस शहादत के बारे में जानकारी दी। परिजनों के अनुसार सुखजिंदर ने फोन कर भाई से पूछा था कि उसका बेटा गुरजीत रोता तो नहीं है। वह जल्दी ही उसके लिए खिलौने भेजेगा।
इस फोन के कुछ देर बाद ही उनकी शहादत की खबर आ गई। इसके बाद परिवार में कोहराम मच गया। सुखजिंदर सिंह सीआरपीएफ की 76वीं बटालियन में बतौर कांस्टेबल तैनात थे। परिजनों के अनुसार वे बीती 28 जनवरी को एक महीने की छुट्टी के बाद ड्यूटी पर लौटे थे। जाते समय बेटे को बार-बार चूम रहे थे। परिवार में उनकी विधवा सरबजीत कौर व अन्य परिजन हैं। गुरजंट सिंह ने बताया कि गुरुवार सुबह ही सुखजिंदर ने उसे फोन कर बताया था कि जम्मू-कश्मीर में बंद रास्ता अब खुल चुका है और अब ढाई हजार जवानों का काफिला अपनी मंजिल की ओर बढ़ेगा।
हमले की खबर मिलते ही सुधबुध खो बैठीं सुखजीत कौर
आतंकी हमले का शिकार हुई सैनिकों की बस को पंजाब के मोगा जिले के जयमल सिंह चला रहे थे। जयमल सिंह मूल रूप से कोट ईस्सेखां का रहने वाले थे। जयमल सिंह की पत्नी सुखजीत कौर जलंधर के करतारपुर के पास स्थित कोट सराएका के सीआरपीएफ कैंप में रह रही हैं। जयमल सिंह 19 साल की आयु में सीआरपीएफ में भर्ती हो गए थे। परिजनों ने बताया कि आतंकी हमला उस समय हुआ जब उनकी यूनिट एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट की जा रही थी और जयमल सिंह बस चला रहे थे।
परिजनों ने बताया कि जयमल सिंह अक्सर फोन कर अपने बेटे से देर तक बातें करते थे। उनकी शहादत की खबर जैसे ही परिजनों को मिली, पूरा परिवार जलंधर पहुंच गया। हमले की खबर के बाद से ही सुखजीत कौर सुध बुध खो बैठीं। वे बस यह जानना चाहती हैं कि उनका सुहाग ठीक है। वे देर रात तक पति की सलामती की खबर का इंतजार और भगवान से उनके ठीकठाक होने की दुआ करती रहीं।
पड़ोस की महिलाओं ने काफी मुश्किल से उन्हें संभाला। पूरी रात सुखजीत कौर को अपने पति के निधन पर यकीन नहीं हुआ। बार-बार बताने के बावजूद वे कहती रहीं कि उनके पति आ जाएंगे। सुबह जब उन्हें किसी ने टीवी चैनल पर चल रही खबरों के बारे में बताया तब उन्हें एहसास हुआ कि उनके पति अब इस दुनिया में नहीं हैं।
दो दिन पहले ही पिता से मिलकर गए थे मनिंदर
गुरदासपुर के दीनानगर की आर्य नगर कालोनी निवासी 27 वर्षीय मनिंदर सिंह दो दिन पहले ही अपने पिता से मिलकर वापस गए थे। मनिंदर सिंह की अभी शादी नहीं हुई थी, उनके पिता सतपाल सिंह पंजाब रोडवेज विभाग से सेवानिवृत्त हुए हैं। मनिंदर के दूसरे भाई भी सीआरपीएफ में तैनात हैं। मां का निधन हो चुका है। शहीद मनिंदर सिंह ने बीटैक की हुई थी और एक साल पहले ही सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। दो दिन पहले ही वे अपने पिता से मिलकर गए थे। गुरुवार की रात किसी अधिकारी ने फोन करके परिजनों को मनिंदर के शहीद होने की सूचना दी।