Transgenders Case Madras High Court: मद्रास हाई कोर्ट में हाल ही में राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद (NMC) और तमिलनाडु सरकार को एक जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया। जिसमें राज्य के दो ट्रांसजेंडर क्लीनिकों में अनैतिक प्रथाओं और वर्ल्ड प्रोफेशनल एसोसिएशन फॉर ट्रांसजेंडर हेल्थ गाइडलाइंस (WPATH) प्रोटोकॉल के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में जस्टिस एसएस सुंदर और जस्टिस पी धनबल की खंडपीठ ने एनएमसी और तमिलनाडु स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को चार सप्ताह के भीतर जनहित याचिका पर जवाब देने को कहा।
कोर्ट एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिका में उसने दावा किया था कि तमिलनाडु उन दो राज्यों में से एक है, जहां विशेष ट्रांसजेंडर क्लीनिक हैं, लेकिन ऐसे क्लीनिकों के कर्मचारी अक्सर लिंग पुष्टि सर्जरी चाहने वाले व्यक्तियों के साथ व्यवहार करते समय ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 2019 के तहत अनिवार्य देखभाल के डब्ल्यूपीएटीएच मानकों का उल्लंघन करते हैं।
2022 में तमिलनाडु सरकार ने दो सरकारी अस्पतालों – चेन्नई में राजीव गांधी सरकारीअस्पताल और मदुरै में सरकारी राजाजी अस्पताल में ट्रांसजेंडर क्लीनिक शुरू किए। इन अस्पतालों में क्लीनिक हैं, जो सप्ताह के निर्धारित दिनों में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए परामर्श, प्रसूति विशेषज्ञ और सर्जन प्रदान करते हैं।
याचिकाकर्ता ने कहा कि इन क्लीनिकों में आने वाले कई ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को कर्मचारियों द्वारा अनैतिक व्यवहार का सामना करना पड़ा है। उनमें से अधिकतर ने बताया कि उनसे कपड़े उतारने को कहा गया और स्टाफ ने उन पर प्रतिबंधित टू-फिंगर टेस्ट भी किया।
याचिकाकर्ता ने दोनों अस्पतालों को ट्रांसजेंडर व्यक्तियों पर किए जा रहे अनैतिक, आपत्तिजनक, चिकित्सकीय रूप से अनावश्यक व्यवहार को समाप्त करने के निर्देश देने की मांग की। याचिका में कोर्ट से यह भी अपील की गई कि वह राज्य और संघ प्राधिकारियों को लिंग पुष्टि सर्जरी करते समय चिकित्सा संस्थानों के लिए एक मानक प्रोटोकॉल तैयार करने का निर्देश दे। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि लिंग-पुष्टि प्रक्रियाओं के लिए तकनीकी और परिचालन प्रोटोकॉल के अभाव में ट्रांसजेंडर व्यक्ति अधिनियम की धारा 15 (ई) के तहत विफल हो जाएगा।
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