IAS Pooja Khedkar Case: ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर लगातार सुर्खियों में बनी हुईं हैं। कथित तौर पर फर्जी दिव्यांगता और ओबीसी सर्टिफिकेट के आधार पर सिविल सर्विस में चयनित होने के आरोपों का सामना कर रहीं हैं। इस मामले में पहली बार उन्होंने अपनी चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने कहा कि आरोपी बनाए जाने से पहले ही मीडिया ट्रायल चलाना बिल्कुल गलत है और इसके जरिये किसी को दोषी साबित करना भी गलत है।
केंद्र सरकार ने सिविल सर्विस की परीक्षा और फिर आईएएस अधिकारी के चयन के लिए पूजा द्वारा दिए गए कागजों की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है। पूजा ने कहा कि समिति के विशेषज्ञ फैसला करेंगे। न तो मैं, न ही आप (Media) या जनता फैसला कर सकती है। उन्होंने कहा कि जब भी समिति का फैसला आएगा वह सभी के सामने आएगा। लेकिन लेकिन अभी मुझे आपको चल रही जांच के बारे में बताने का कोई अधिकार नहीं है।\
मीडिया ट्रायल के जरिये दोषी साबित करना गलत- पूजा खेडकर
पूजा खेडकर ने कहा कि हमारा भारतीय संविधान इस तथ्य पर आधारित है कि जब तक दोष साबित न हो जाए, तब तक कोई दोषी नहीं माना जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसलिए मीडिया ट्रायल के जरिए मुझे दोषी साबित करना हर किसी की ओर से गलत है। खेडकर ने कहा कि मेरी जो भी दलील है, मैं उसे समिति के सामने रखूंगी और सच्चाई सामने आएगी।
ट्रेनी आईएएस अधिकारी से पहले उनके पिता और पूर्व सिविल सर्वेंट दिलीप खेडकर ने रविवार को अपनी बेटी का बचाव किया और कहा कि उन्होंने कुछ भी गैरकानूनी नहीं किया है।
मामला क्या है?
पुणे में ट्रेनी रहते हुए पूजा खेडकर ने कई सुविधाओं की मांग की थी। दरअसल ये सुविधाएं ट्रेनी अधिकारियों को नहीं मिल पातीं। फिर भी पूजा खेडकर ने लाल-नीली बत्ती और वीआईपी नंबर प्लेट वाली अपनी निजी ऑडी कार का इस्तेमाल किया। अपने वाहन पर महाराष्ट्र सरकार का साइनबोर्ड लगाया। इतना ही नहीं, कार, घर और ज्यादा स्टाफ की भी मांग की। इन सभी मामलों के बाद पुणे कलेक्टर सुहास दिवासे ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर पूजा खेडकर की शिकायत की। इसके बाद पूजा का ट्रांसफर कर दिया गया। इससे संबंधित विस्तृत खबर यहां क्लिक कर पढ़ें…