भारत में कोरोना के मामले एक करोड़ से पार हो चुके हैं और वैक्सीन आने में भी अभी समय है। न्यू ईयर के मौके पर कोरोना से बचाव के लिए केंद्र सरकार ने गाइडलाइन्स भी जारी की थी। वहीँ कुछ शहरों में नाइट कर्फ्यू की घोषणा भी गयी थी। लेकिन बीजेपी शासित गोवा में केंद्र सरकार के निर्देश की धज्जियाँ जम कर उड़ाई गयी। लोगों ने मास्क भी ना के बराबर पहन रखे थे तो सोशल डिस्टेनसिंग वाले नियम भी ताक पर रख दिए गए थे।

मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने भी लोगों से अपील की थी  कि वे कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए मानक मापदंडों का पालन करें। लेकिन रात होते-होते बीच के आस पास अच्छी खासी भीड़ जमा हो गई और तटों पर संगीत की आवाज़ भी काफी तेज होती रही। कई स्थानीय नाइट क्लबों ने पार्टियों का आयोजन किया जो 31 दिसंबर की शाम में शुरू हुई और एक जनवरी की सुबह तक चली। लोगों ने इन पार्टियों में कोरोना को ताक पर रख कर पार्टी की।

न्यू ईयर पार्टी में कोरोना के नियमों में अनदेखी की वजह से केसों की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। स्थानीय लोग और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोगों ने इस मामले में अपनी चिंता भी जाहिर की है। एक डॉक्टर ने इन पार्टियों की फोटो को ट्वीट करते हुए लिखा है कि आप इन फोटोज को देख कर पता लगा सकते हैं कि हमारी सरकार कोरोना को लेकर कितनी संवेदनशील है। अगर गोवा में उमड़ी भीड़ की वजह से कोरोना के केस बढ़ते हैं तो इसकी कीमत यहाँ के स्वास्थ्य कर्मियों को चुकानी होगी।

ग़ौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग ने रात्रि कर्फ्यू का प्रस्ताव दिया था जिसे मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने लागू करने से इनकार कर दिया था। जिसके बाद गोवा के स्वास्थ्य मंत्री ने लिखा था कि इस समय गोवा को सख्त एसओपी की आवश्यकता है क्योंकि यह एक पर्यटन स्थल है। साथ ही केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने भी गोवा के सरकार को एक पत्र लिख कर कहा था कि नए साल का उत्सव मनाने के दौरान भीड़ जमा होने की स्थिति में संभावित सभी ‘सुपरस्प्रेडर’ (संक्रमण को तेजी से फैलाने वाला) की सख्त से सख्त निगरानी की जाए।