नौकरी के मुद्दे पर कांग्रेस अक्सर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी को घेरती रही है। विपक्ष द्वारा नौकरी को लेकर विपक्ष के सवालों के जवाब देने के लिए बीजेपी की तरफ से भी तैयारियां की जा रही हैं। लोकसभा चुनाव से पहले के महत्वपूर्ण समय में बेरोजगार आर्थिक विकास (जॉबलेस इकॉनोमिक ग्रोथ) को लेकर विपक्ष के द्वारा पूछे जाने वाले सवालों के लिए सरकार कमर कस रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों के साथ मीटिंग करने जा रहे हैं। इस मीटिंग में वर्तमान में रोजगार की स्थिति और जॉब जनरेशन के हाल के आंकड़ों पर चर्चा की जाएगी।

द प्रिंट के मुताबिक इस मीटिंग में वर्तमान वित्तीय वर्ष में अब तक के ताजा रोजगार डाटा पर चर्चा होगी। पीएम मोदी इस मीटिंग में मौजूद रहेंगे और पूरी स्थिति की जायजा लेंगे। यह मीटिंग बीजेपी और पीएम मोदी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि कुछ ही महीनों बाद मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव और 2019 में लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस बीजेपी पर हमला करने के लिए रोजगार का मुद्दा जरूर उठाएगी। नरेंद्र मोदी की सरकार ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले जनता से ‘अच्छे दिन’ और रोजगार के अवसर देने का वादा किया था।

बता दें कि कुछ दिनों पहले पीएम मोदी ने एक मैगजीन को दिए इंटरव्यू में ईपीएफओ का हवाला देते हुए कहा था कि पिछले साल संगठित क्षेत्रों में 70 लाख नौकरियां पैदा हुई थीं। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि देश में रोजगार की कोई कमी नहीं है, समस्या केवल इतनी है कि इसके सही आंकड़ें मौजूद नहीं हैं। मोदी ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांती घोष और आईआईएम बेंगलुरु के प्रोफेसर पुलक घोष की इस साल जनवरी में आई एक रिपोर्ट के आधार पर यह बात कही। हालांकि इस रिपोर्ट का कई अन्य अर्थशास्त्रियों द्वारा विरोध भी किया जा रहा है।