नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) के खिलाफ दायर तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा की याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। टीएमसी सांसद ने इस याचिका में बिल की संवैधानिक वैधता पर सवाल खड़े किए हैं। चीफ जस्टिस एस.ए बोबड़े की अगुआई वाली बंच ने मामले पर तत्काल सुनवाई के लिए मना करते हुए याचिकाकर्ता को रजिस्ट्रार के पास जाने के निर्देश दिए।
चीफ जस्टिस ने कहा कि आज (शुक्रवार) को सुनवाई नहीं होगी। इसके साथ ही बेंच ने वकीलों को नसीहत दी कि वे पहले संबंधित अधिकारियों के पास जाएं। इस बिल के खिलाफ चार याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। इनमें इंडियन मुस्लिम लीग भी शामिल हैं। याचिका में कहा गया है कि वह किसी को शरण देने के खिलाफ नहीं है लेकिन मुस्लिमों को इस बिल से अलग रखा गया है जो कि भेदभावपूर्ण है।
इस बिल के केंद्रीय कैबिनेट से पास होने के बाद से इस पर सवाल खड़े होने लगे थे। पूर्वोत्तर राज्यों में इसका जमकर विरोध किया जा रहा है। असम में हजारों लोग सड़कों पर उतरकर इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। गुरुवार को पुलिस की ओर से की गई गोलीबारी में तीन प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई। वहीं असम के कई जिलों में इंटरनेट पर पाबंदी लगा दी गई है।
इस बिल के कानून बनने के बाद इसका सबसे ज्यादा असर पूर्वोत्तर राज्यों विशेषकर असम पर पड़ेगा। इन राज्यों का कहना है कि पड़ोसी देशों से आने वाले शरणार्थी भारत के अन्य राज्यों के मुकाबले पूर्वोत्तर राज्यों में ही आकर बसने लगेंगे। इसके अलावा राज्य में पहले से मौजूद हजारों लोगों को नागरिकता मिल जाएगी।
बता दें कि इस बिल पर गुरुवार देर रात राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दस्तख्त कर दिए जिसके बाद यह कानून का रूप ले चुका है। इसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थी- हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है।
