Tirupati Mandir Donation Box Scam: पराकमानी (Donation Box) से दान की “चोरी” को लेकर एक ताजा विवाद ने तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) को हिलाकर रख दिया है, जो तिरुमाला में श्री वेंकटेश्वर मंदिर का प्रबंधन करता है। यह विवाद श्रद्धालुओं को बांटे गए लड्डू को लेकर हुए विवाद के ठीक एक साल बाद सामने आया है।
आंध्र प्रदेश में भाजपा और पवन कल्याण की जनसेना पार्टी (JSP) के साथ गठबंधन में सत्ता में आई सत्तारूढ़ तेलुगु देशम पार्टी (TDP) ने वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) पर मंदिर से सैकड़ों करोड़ चुराने का आरोप लगाया है। वहीं, वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली पार्टी ने इन आरोपों को राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया है। साथ ही केंद्र से निष्पक्ष जांच कराने के लिए मामले को सीबीआई को सौंपने का आग्रह किया है। सोमवार को आंध्र प्रदेश सरकार ने कथित घोटाले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया।
यह मामला अप्रैल, 2023 का है। जब वाईएसआरसीपी सत्ता में थी। तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के पूर्व कर्मचारी रवि कुमार से जुड़ा है। जिन पर पराकमानी (Parakamani)से 100 डॉलर के नौ नोट चुराने का आरोप लगाया गया था। 20 सितंबर को आंध्र प्रदेश के आईटी मंत्री और टीडीपी महासचिव नारा लोकेश द्वारा कथित तौर पर घटना का सीसीटीवी फुटेज साझा करने और जगन और वाईएसआरसीपी के पूर्व टीटीडी अध्यक्ष भुमना करुणाकर रेड्डी पर “100 करोड़ रुपये की चोरी” का आरोप लगाने के बाद इस मामले ने फिर से तूल पकड़ लिया।
लोकेश ने फुटेज शेयर करते हुए लिखा, “जगन के पांच साल के शासन में भ्रष्टाचार चरम पर था… उन्होंने तिरुमला में भगवान वेंकटेश्वर को भी नहीं बख्शा। करुणाकर रेड्डी के आशीर्वाद से चोरों ने पराकामनी में घुसपैठ की और करोड़ों की संपत्ति लूट ली। इस पैसे को रियल एस्टेट में निवेश किया गया। करुणाकर रेड्डी के टीटीडी अध्यक्ष रहते हुए रवि कुमार ने करोड़ों की चोरी की। उनके सहयोगियों ने इस मामले को लोक अदालत में निपटाने की भी कोशिश की… पराकामनी के वीडियो आज सामने आए हैं। कल, आरोपी खुद वाईएसआरसीपी के पापों का पूरा हिसाब-किताब बताने वाले हैं।”
टीटीडी ने भी अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि यह मामला राजनीतिक नहीं हो सकता, क्योंकि यह करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ा है। टीटीडी सदस्य और भाजपा नेता जी भानु प्रकाश रेड्डी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “यह तत्कालीन टीटीडी प्रशासन की ओर से प्रक्रियागत चूक का मामला है। जब रवि कुमार के खिलाफ अपराध समझौता योग्य नहीं हैं, तो टीटीडी को लोक अदालत में मामला निपटाने का अधिकार किसने दिया? इस चोरी से शीर्ष पुलिस अधिकारियों और वाईएसआरसीपी नेतृत्व को फायदा हुआ है। ” भारतीय दंड संहिता की धारा 379 और 381 से संबंधित अपराध धोखाधड़ी से संबंधित हैं और इन्हें न्यायालय की अनुमति से शमनीय बनाया जा सकता है।
‘समझौते’ के बारे में प्रश्न
25 जुलाई, 2024 को टीटीडी के तत्कालीन सतर्कता और सुरक्षा अधिकारी एम गिरिधर राव के पत्र का हवाला देते हुए, जिसे द इंडियन एक्सप्रेस ने देखा है। भानु प्रकाश रेड्डी ने आरोप लगाया कि मामले में शिकायतकर्ता और तत्कालीन सहायक सतर्कता और सुरक्षा अधिकारी वाई सतीश कुमार ने समझौता किया, क्योंकि वह पुलिस के अत्यधिक दबाव में थे।
पत्र में लिखा है, “यह पता नहीं चल पाया है कि पुलिस ने टीटीडी एवीएसओ पर दबाव क्यों डाला। हालाँकि, सतीश कुमार एक अच्छे अधिकारी हैं, जिनकी ईमानदारी अच्छी है, वे मेहनती, ईमानदार और टीटीडी के काम के प्रति समर्पित हैं।”
29 अप्रैल, 2023 को सतीश कुमार ने रवि कुमार को परकामनी से चोरी करते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया, जिसके बाद रवि कुमार के खिलाफ आईपीसी की धारा 379 और 381 के तहत मामला दर्ज किया गया। मामले में एक आरोप पत्र 30 मई, 2023 को तिरुपति अदालत में दायर किया गया। उस सितंबर में, एक लोक अदालत ने मामले का निपटारा कर दिया जब सतीश कुमार और रवि कुमार ने कहा कि उन्होंने मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए समझौता कर लिया है।
पिछले साल 10 सितंबर को एम श्रीनिवासुलु नाम के एक व्यक्ति ने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में एक रिट याचिका दायर कर कथित परकामनी घोटाले की सीआईडी जांच की मांग की थी। कोर्ट ने पिछले हफ़्ते लोक अदालत के आदेश को अगली सूचना तक स्थगित कर दिया।
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वाईएसआरसीपी के तिरुपति सांसद मदिला गुरुमूर्ति ने आरोपों से इनकार किया और केंद्र से मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की। उन्होंने सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लिखे एक पत्र में कहा कि आंध्र प्रदेश सरकार विश्वसनीय सबूतों या उचित जांच के अभाव में निराधार आरोप लगा रही है।
मदिला गुरुमूर्ति ने कहा कि आंध्र प्रदेश में जो कुछ भी हो रहा है, वह धर्म को राजनीतिक प्रतिशोध के साधन के रूप में इस्तेमाल करने की एक जानबूझकर की गई कोशिश है। इस तरह की कार्रवाइयां न केवल सार्वजनिक व्यवस्था के लिए ख़तरा हैं, बल्कि लोकतांत्रिक शासन में लोगों के विश्वास को भी कमज़ोर करती हैं… केवल एक केंद्रीय एजेंसी द्वारा निष्पक्ष और पारदर्शी जांच ही सच्चाई को स्थापित कर सकती है, राजनीति से प्रेरित झूठ पर लगाम लगा सकती है और भक्तों का विश्वास बहाल कर सकती है।
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