दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पत्रिका ‘टाइम’ ने अपनी 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की लिस्ट रिलीज की है। इसमें भारत के पांच बड़े नाम शामिल किए गए हैं। लिस्ट में इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी नाम है। 2014 में पीएम बनने के बाद से अब तक मोदी का नाम चार बार प्रभावशाली लोगों की सूची में आ चुका है। सिर्फ 2018 और 2019 ही दो ऐसे साल थे, जब वे इस लिस्ट का हिस्सा नहीं रहे। इस बार टाइम ने मोदी को सबसे प्रभावशाली नेताओं के वर्ग में तो रखा है, पर उनके लिए कई कड़े शब्द भी इस्तेमाल किए हैं।

टाइम मैगजीन ने पीएम मोदी को लिस्ट में जगह देते हुए लेख में लिखा, “लोकतंत्र की विशेषता इसमें होने वाले स्वतंत्र चुनाव नहीं हैं। वे तो सिर्फ ये बताते हैं कि किसे ज्यादा वोट मिले। ज्यादा अहम उन लोगों के अधिकार हैं, जिन्होंने जीतने वाले के पक्ष में वोटिंग नहीं की। भारत पिछले सात दशकों से दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यहां की 1.3 अरब लोगों की आबादी में इसाई, मुस्लिम, सिख, बौद्ध, जैन और कई अन्य धर्म के लोग रहते हैं। सभी भारत में स्वीकार्य रहे हैं, जिसकी दलाई लामा (जिन्होंने भारत में ही निर्वासित रहते हुए अपनी ज्यादातर जिंदगी बिताई) भी शांति और स्थायित्व का उदाहरण बताते हुए तारीफ करते हैं।”

मैगजीन ने इसके बाद पीएम मोदी पर निशाना साधा है। इसमें लिखा है, “नरेंद्र मोदी ने इन सबको शक के दायरे में ला दिया है। भारत के लगभग सभी प्रधानमंत्री 80 फीसदी हिंदू आबादी से ही रहे हैं, लेकिन सिर्फ मोदी ने ही इस तरह से शासन किया है, जैसे कोई और मायने नहीं रखता। पहले उनका चुनाव सशक्तीकरण जैसे लोकप्रिय वादे पर हुआ, उनकी हिंदू-राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी ने न सिर्फ उत्कृष्टता, बल्कि विशेष तौर पर भारत के मुस्लिमों को निशाना बनाकर बहुसंख्यकवाद को भी अस्वीकृत कर दिया।”

टाइम की ओर से यह लेख संपादक कार्ल विक की ओर से लिखा गया है। उन्होंने इसमें कहा है कि कोरोनावायरस महामारी जैसी संकट की घड़ी असहमति का गला घोंटने का बहाना बन गई और दुनिया का सबसे आकर्षक और चमकदार लोकतंत्र और गहरे अंधेरे में पहुंच गया है।