Tiger Death in India: देश में बाघों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है। इस साल अब तक 157 बाघ अपनी जान गंवा चुके हैं। अहम बात यह है कि इस वर्ष बाघों की मौत की संख्या पिछले साल से ज्यादा है। पिछले साल 126 बाघों की मौत हुई थी। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के मुताबिक दस वर्षों में देश में 1,256 बाघों की जान गई है।
दरअसल, देश में वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को लगातार झटके लग रहे हैं, जिसके चलते बाघों की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के ताजा आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष 12 दिसंबर तक देश में 157 बाघों की मौत दर्ज की गई है। पिछले वर्ष की तुलना में यह संख्या 31 अधिक है।
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मध्य प्रदेश में बाघों की सबसे ज्यादा मौतें
साल वर्ष 2024 में कुल 126 बाघों की मौत हुई थी। आंकड़ों के मुताबिक मध्य प्रदेश एक बार फिर सबसे अधिक बाघों की मौत वाला राज्य रहा है। यहां 52 बाघों ने इस साल जान गंवाई है, जो कुल मौतों का लगभग एक-तिहाई हिस्सा है। इसके बाद महाराष्ट्र 37 मौतों के साथ दूसरे स्थान पर है, जबकि कर्नाटक में 14, केरल में 13, असम में 12 और तमिलनाडु में 10 बाघों की मौत हुई है।
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एनटीसीए के अनुसार, मरने वाले बाघों में 30 शावक और 40 मादाएं शामिल हैं, जिससे यह चिंता और बढ़ गई है कि भविष्य में बाघों की आबादी कैसे बढ़ेगी। देशभर में बाघों की सुरक्षा को लेकर कई अभयारण्य और टाइगर रिजर्व सक्रिय हैं, लेकिन मानव हस्तक्षेप, अवैध शिकार, क्षेत्रीय संघर्ष और बीमारियां अभी भी बाघों की जान के लिए खतरा बने हुए हैं।
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पिछले दस साल में 1256 बाघों ने गंवाई जान
पिछले दस वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो देश में कुल 1,256 बाघों की मौत दर्ज की गई है। इनमें वर्ष 2023 सबसे घातक रहा, जब 182 बाघों ने जान गंवाई थी। वर्ष 2016 के बाद से हर वर्ष 100 से अधिक बाघों की मौत दर्ज की गई है। केवल 2019 ऐसा वर्ष रहा, जब बाघों की मौत का आंकड़ा 100 से नीचे (95) रहा।
बाघों की मौत का सालाना आंकड़ा
2025, 157
2024, 126
2023, 182
2022, 122
2021, 129
2020, 106
2019, 95
2018, 101
2017, 117
2016, 121
2015, 82
2014, 78
2013, 68
2012, 88
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