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आज ही के 15 जून को ठीक तीन साल पहले गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच एक बड़ा संघर्ष देखा गया था, जिसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे। हालांकि चीन ने अपने सैनिकों की मौत का आंकड़ा जारी नहीं किया था। जिस समय यह संघर्ष हुआ, भारतीय सेना के पास इनपुट थे कि  चीन की सेना भारतीय सीमा में घुसपैठ कर रही है। लेकिन यहां बड़ी तादाद में भारतीय जवान तैनात नहीं थे। सिर्फ 1500 जवानों की तैनाती थी। लेकिन अब जब इस घटना को तीन साल बीत गए हैं सेना ने इस इलाके पर विशेष ध्यान दिया है। बड़ी तादाद में यहां जवानों को तैनात किया गया है। 

द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा एक्सेस किए गए आंकड़ों के मुताबिक सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने अकेले लद्दाख में 2021 में 19 और 2022 में 26 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पूरा किया है। इसने इस साल 54 परियोजनाओं को पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इसमें अलग-अलग योजनाओं के साथ प्रमुखता से सड़कों और पुल का निर्माण शामिल है।

लेह की आबादी से ज़्यादा संख्या में जवानों की तैनाती 

अब लगभग 50,000 अतिरिक्त सैनिकों को यहां तैनात किया गया है। यह संख्या के लिहाज़ से लेह की आबादी से ज़्यादा है। गलवान घाटी संघर्ष के बाद सेना इस इलाके को लेकर काफी एक्टिव है। 

जबकि पहले XIV कोर के दो डिवीजनों में से सिर्फ एक को विशेष रूप से सीमा को देखने का काम सौंपा गया था, अब जम्मू-कश्मीर से ट्रांसफर  किए गए राष्ट्रीय राइफल्स बल सहित एलएसी पर सैनिकों के दो से अधिक डिवीजन तैनात हैं। 

पिछले तीन सालों में में पूर्वी लद्दाख में खुफिया, निगरानी और टोही (आईएसआर) के लिए ढेर सारे आधुनिक उपकरणों की तैनाती और 4-5 रेजिमेंटों से लेकर 10-12 तक अतिरिक्त र बख्तरबंद रेजिमेंटों की तैनाती देखी गई है।  जिन जवानों को यहां बड़ी तादाद में तैनात किया गया है। उनके रहने की व्यवस्था का खास तौर पर ध्यान रखा गया है। बेहतर सड़कें, ट्रैक, पुल, स्थायी सुरक्षा, आवास और सैनिकों के लिए हर सुविधा का इंतेजाम बेहतर ढंग से किया गया है। यह पहले के मुकाबले एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है।

कैसे हुई गलवान घाटी में भारत-चीन की टक्कर?

मई 2020 से एलएसी के पास चीनी सैनिकों की बढ़ती मौजूदगी और उस महीने कुछ मामूली टकराव की घटनाओं के साथ तनाव बढ़ रहा था। एक मई 2020 को दोनों देशों के सौनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो झील के नॉर्थ बैंक में झड़प हुई थी। इसमें दोनों ही तरफ़ के दर्जनों सैनिक घायल हो गए थे. इसके बाद 15 जून को गलवान घाटी में एक बार फिर दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुईं। इसके बाद भारतीय सेना ने अगले दिन बयान जारी कहा था कि 17 सैनिकों की मौत हुई है, आंकड़ा बढ़ कर 20 पहुंच गया था। चीन ने अपने सैनिकों की मौत का आंकड़ा छिपा लिया था।