लॉ के तीन छात्रों ने सीजेआई यानी देश के मुख्य न्यायधीश को चिट्ठी लिखकर अंग्रेजों के समय से चली आ रही एक प्रथा को खत्म करने की गुजारिश की है। दरअसल, इन छात्रों का कहना है कि केस रिकॉर्ड के लिए लीगल साइज पेपर के इस्तेमाल की जगह A4 साइज के पन्नों को इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
द हिंदू की खबर के मुताबिक छात्रों का कहना है कि अधिकतम मुकदमें सरकार और कॉरपोरेट्स के होते हैं। अपने आंतरिक मामलों में दोनों ही ए 4 साइज के पेपर का इस्तेमाल करते हैं। लीगल साइज के पेपर का इस्तेमाल केवल ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रथा का नतीजा है और यह अभी तक जारी है। इंग्लैंड और अमेरिका जैसे देशों में भी पूरी कानूनी प्रणाली में A4 साइज के कागज का इस्तेमाल होता है।
पत्र लिखने वाले अभिनव सिंह , आकृति अग्रवाल और लक्ष्य पुरोहित का कहना है कि A4 साइज पन्नों का इस्तेमाल सस्ता भी है। इससे कोर्ट के खर्चे में 50 फीसदी तक बचत होगी। उनका कहना है कि A4 साइज पन्नों में फोटोकॉपी करने में भी सुविधा होती है। एक ही केस रिकॉर्ड के पन्नों की कई सारी फोटोकॉपी करानी पड़ती है। कोर्ट प्रांगण में फोटोकॉपी का अलग व्यापार है।
उनका कहना है कि पीठों की संख्या, अभिलेखों और बेंच पर न्यायाधीशों की संख्या के आधार पर केस रिकॉर्ड की प्रतियां भी निर्भर करती हैं। उदाहरण के लिए, अयोध्या मामले में की अपीलों में 15 बड़े स्टील बॉक्स भरे पड़े हैं। पांच सिविल सूट में कई प्रतिवादी थे इस लिहाज से बेंच पर प्रत्येक जज के लिए हर रिकॉर्ड की पांच अलग-अलग कॉपी बनाई जानी थीं ऐसे में फोटोकॉपी वादियों के लिए अतिरिक्त खर्च बढ़ता है। पत्र में यह भी लिखा गया है कि फोटोस्टेट करने वाले लीगल साइज पेज की फोटोकॉपी करने के 2 रुपए लेते हैं जबकि A4 साइज के पेज के लिए 1 रुपए ही चार्ज लगता है।पत्र में CJI से आग्रह किया कि “न्याय के हित और प्रशासन के हित” में कोर्ट में समान रूप से A4 साइज पेज के इस्तेमाल को आधिकारिक बनाया जाए।