अवैध निर्माण को लेकर बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) के नोटिस के खिलाफ बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। ऊपर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने उन्हें राहत दे दी है। कोर्ट ने बीएमसी को सोनू सूद के खिलाफ कार्रवाई ना करने का आदेश दिया है। वहीं सूद ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस लेने की बात कही। उन्होने बीएमसी के साथ मिलकर इस विवाद का हल निकालने की बात कही है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे, एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यम की बेंच द्वारा सोनू सूद की याचिका पर सुनवाई की गई और उन्होंने इस मामले पर अपना फैसला सुनाया। सूद के वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि सोनू ने बीएमसी के सामने अपना पक्ष विस्तार से रखा है और उन्हें बीएमसी के निर्णय की प्रतीक्षा है। रोहतगी ने कहा “मैंने ट्रायल कोर्ट से मुकदमा और एसएलपी दोनों वापस ले लिए हैं। एमआरटीपी अधिनियम के तहत मुझे जारी किए गए नोटिस के तहत मैंने नियमितीकरण के लिए एक अर्जी दाखिल की है। मैं प्रार्थना कर रहा हूं कि अधिकारी मेरी याचिका पर स्पीकिंग ऑर्डर के तहत आदेश दे दें।”
इसपर सीजेआई ने कहा “हम व्यंग्यात्मक नहीं होना चाहते, लेकिन बहुत कम ऐसा होता है कि सलाह के माध्यम से कोई मामला हल हो जाये।” इसपर रोहतगी ने कहा “याचिकाकर्ता एक बॉलीवुड अभिनेता है। उसे इस सब के बारे में कोई जानकारी नहीं है।”
इसपर सीजेआई ने कहा “नहीं, नहीं, हमारा मतलब किसी का अनादर करने का नहीं है। हम केवल यह कह रहे हैं कि आपकी सलाह बिल्कुल सही थी। यह हमेशा नहीं होता कि कोई मामला सलाह से हल हो जाये।” सीजेआई एसए बोबडे, ने कहा कि सूद की स्क्रिप्ट बढ़िया लिखी है।
कोर्ट के आदेश के बाद सोनू सूद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मुझे सही फैसला लेने के लिए समय दिया है। मैंने जो भी काम किया वो लीगल तरीके से ही किया था, लेकिन उसे गलत तरीके से दिखाया गया। मुझे हमेशा से न्यायपालिका में पूरा विश्वास था और मैंने हमेशा कानून का पालन किया है। मैं हमेशा अपने बिजनेस को कानून के दायरे में ही चलाता हूं, हर तरह की परमीशन भी लेकर रखता हूं।
बता दें सूद की याचिका में कहा गया था 13 जनवरी 2021 को उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र क्षेत्रीय और नगर योजना कानून 1966 की धारा 43 (एक) के प्रावधानों पर विचार किए बिना आदेश जारी किया। इसमें कहा गया है कि आवासीय परिसर को आवासीय होटल में बदलने को लेकर परिवर्तन के संबंध में उन्होंने 2018 में ही संबंधित विभाग के समक्ष आवेदन कर दिया था।

