Bangladesh News in Hindi: शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद से वहां के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। भारत के इस पड़ोसी मुल्क में अल्पसंख्यक समुदाय विशेषकर हिंदुओं पर जमकर अत्याचार हो रहे हैं। बांग्लादेश में हिंदुओं का क्या भविष्य है, यह वहां के किसी भी हिंदू नागरिक को समझ नहीं आ रहा।
इस बीच AIIMS Kalyani में इलाज के लिए भारत पहुंचे बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट के वकील और ISKCON संत चिन्मय कृष्ण दास के रबिंद्र घोष ने द इंडियन एक्सप्रेस को वहां के वर्तमान हालातों की जानकारी दी है। रबिंद्र घोष इस समय बंगाल के बैरकपुर में स्थित अपने बेटे के घर पर हैं, यहां बड़ी संख्या में लोग उनसे मिलने पहुंच रहे हैं।
उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में रबिंद्र घोष कहा, “मैं डरपोक नहीं हूं। मैं बांग्लादेश से भागा नहीं हूं। मैं अपने देश लौटूंगा और न्याय व ISKCON संत चिन्मय कृष्ण दास की रिहाई के लिए लड़ाई जारी रखूंगा।”
‘नया पाकिस्तान बनाना चाहती है ये सरकार’
हालांकि बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट में वकील रबिंद्र घोष महसूस करते हैं कि वो अब अपने देश को पहचान पाने में असमर्थ हैं। उन्होंने कहा, “मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार दावा करती है कि वो नई सरकार हैं लेकिन यह वो बांग्लादेश नहीं है, जो 1971 में पैदा हुआ था। यह अलग बांग्लादेश है, जो 8 अगस्त 2024 को पैदा हुआ है। उद्देश्य देश को बर्बाद करना है। वो नया बांग्लादेश बनाना चाहते हैं और एक नया पाकिस्तान।”
रबिंद्र घोष बांग्लादेश माइनॉरिटी वॉच के चेयरमैन भी हैं। वह राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार ISKCON संत चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका दायर करने के लिए दो बार चटगांव मेट्रोपोलिटन सेशन कोर्ट में उपस्थित होने की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि चिन्मय कृष्ण दास एक भिक्षु हैं। वह समाज और देश के लिए बांग्लादेश में बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। उन्हें झूठे और तुच्छ मामलों में गिरफ्तार किया गया है। यह देशद्रोह का मामला नहीं है। यह मनगढ़ंत और दुष्प्रचारित मामला है। उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला इसलिए दर्ज किया गया क्योंकि बांग्लादेश में उनकी पॉपुलैरिटी बढ़ रही थी और वह एक सेक्शन के लोगों द्वारा पसंद नहीं की जा रही थी। उन्होंने बताया कि कोर्ट में चिन्मय कृष्ण दास का केस लड़ने के लिए उन्हें जान से मारने की धमकी मिली है।
‘बांग्लादेश में हिंदुओं के लिए हालात कठिन’
इस दौरान उन्होंने कहा, “यह कठिन स्थिति है। चिन्मय कृष्ण दास का केस लड़ने की कोशिश कर रहे ज्यादातर वकीलों पर फर्जी केस लगा दिए गए हैं। बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट का वकील होने के बाद भी मुझे चटगांव जाकर उनका केस लड़ने से रोका गया। मुझसे कहा गया कि मैं चटगांव बार एसोसिएशन से दूसरा वकील लगाऊं। वकील डरे हुए हैं क्योंकि उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है। कई वकील खासकर अभियोजन पक्ष मुझसे इसलिए नाराज है क्योंकि मैं कोर्ट में चिन्मय कृष्ण दास का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं।”
उन्होंने बताया कि जब वो कोर्ट गए तो ज्यादातर वकीलों ने (BNP से जुड़े) ने उन्हें धमकी दी गई। दूसरे दिन पुलिस ने उन्हें बचाया। वकीलों ने उन्हें ‘भारत का दलाल’ कहा। चिन्मय दास से मिलने के हर प्रयास में उन्हें परेशान किया गया। उन्होंने कहा,”यह दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि मैं बांग्लादेश का नागरिक हूं। हमें 1971 में स्वतंत्रता मिली और मैं एक स्वतंत्रता सेनानी हूं। लेकिन इसके बावजूद भी यह भेदभाव जारी है। हम भेदभाव के खिलाफ लड़ रहे हैं।” यहां पढ़िए पूरी खबर