टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता रद्द हो गई है। कैश-फॉर-क्वेरी मामले को लेकर लोकसभा में रिपोर्ट पेश की गई थी जिसके बाद मामले पर बहस हुई और संसद में एथिक्स कमेटी की सिफ़ारिश पास हो गई। जहां एक तरफ कांग्रेस की ओर से जल्दबाज़ी में बहस कराए जाने पर आपत्ति दर्ज कराई की गई वहीं टीएमसी की ओर कहा गया कि इस पूरे मामले पर महुआ मोइत्रा को बोलने भी नहीं दिया गया। हालांकि संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने नियमों का हवाला देकर कहा कि उन्हें बोलने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि पहले भी कभी ऐसा नहीं हुआ है। सस्पेंशन के बाद महुआ मोइत्रा ने सवाल उठाया कि आखिर उन्हें बात रखने का मौका क्यों नहीं दिया गया।
बहस के दौरान कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने नियमों के उलंघन का हवाला देते हुए कई बातें कहीं। स्पीकर ओम बिरला ने मनीष तिवारी को बीच में रोकते हुए कहा कि यह कोर्ट नहीं सदन है, यहां फैसला सदस्य करने वाले हैं मैं नहीं, इसके जवाब में सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि आज जिस मामले पर हम बात कर रहे हैं उसे लेकर हम फैसला लेने बैठे हैं और यह ज्यूरी की तरह है और आज हम एक कोर्ट की शक्ल में यहां मौजूद हैं।
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी के सवाल
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने संसद में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी का हवाला देते हुए कहा कि अगर एथिक्स कमेटी की इस रिपोर्ट पर संज्ञान लेने के लिए 3-4 दिन का समय दिया होता और फिर सदन के सामने अपनी राय रखी जाती आसमान नहीं गिर जाता। उन्होंने कहा, “यह एक बहुत ही संवेदनशील मामला और इसपर फैसला होना है तो इसे समझने और पढ़ने का वक्त दिया जाना चाहिए था। यह कहां तक सही है कि उन्हें (महुआ मोइत्रा) को बोलने तक नहीं दिया जा रहा है।
यह नेचुरल जस्टिस के बुनियादी अधिकारों का हनन है कि जिसके ऊपर आरोप लगाए गए हैं उसे उसकी बात रखने का अधिकार तक नहीं दिया जा रहा है।” इसके अलावा मनीष तिवारी ने संसद के नियम 316(डी) का हवाला देते हुए कहा कि इसमें कहा गया है कि समिति की सिफ़ारिशों को एक रिपोर्ट के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। एथिक्स कमेटी यह सिफ़ारिश कर सकती है कि कोई व्यक्ति दोषी है या निर्दोष है लेकिन वह उन्हें सज़ा देने की सिफ़ारिश नहीं कर सकती है। यह शक्ति इस सदन के पास है।”
हीना गावित के जवाब
बीजेपी सांसद हीना गावित ने मनीष तिवारी के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि एक दिन में रिपोर्ट और एक दिन में बहस नियमों के मुताबिक हुई है। 2005 का हवाला देते हुए हीना गावित ने दावा किया कि तब भी एक ही दिन में रिपोर्ट आई थी और एक ही दिन में 10 सांसदों को निकाला गया था। हीना गावित ने 1951-52 का हवाला देते कहा कि तब भी एक सांसद को पैसा लेने के आरोप में संसद से सस्पेंड किया गया था। उन्होंने कहा,”यह ऐसा पहला मामला नहीं है बल्कि 13 सांसदों को ऐसे मामलों में संसद से निकाला जा चुका है। महुआ जी के केस और दूसरे मामलों में जमीन आसमान का फर्क है, इस मामले में मजबूत सबूत हमारे सामने मौजूद हैं।