दरअसल नर्सों का कहना था कि वो छठें वेतन आयोग की विसंगतियों सहित अन्य मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। एक साथ 5 हजार नर्सों के हड़ताल पर जाने से स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी तरह एम्स में चरमरा गईं। नर्सों का कहना था कि एम्स प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के सामने उन्होंन कई बार अपनी मांगों को रखा है लेकिन हर बार उसकी अनदेखी हुई जिसके चलते उन्हें कठोर कदम उठाना पड़ रहा है।
नर्सों ने बताया कि कोरोना काल से पहले एम्स प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने उनकी मांगों को पूरा करने का भरोसा दिया था पर अब एम्स प्रशासन उनकी मांगों को मानने की बजाय आउट साइड से कान्ट्रैक्ट पर नर्सेज को रख रहा है। जिससे सभी नर्सों में असंतोष है। जनरल वार्ड सहित इमरजेंसी वार्ड से भी सोमवार को नर्सें नदारद थी। एम्स की नर्स यूनियन का कहना है कि जब तक उनकी मांगों को नहीं माना जाएगा तब तक वो हड़ताल को जारी रखेंगी।
नर्सों की इस अनिश्चितकालीन हडताल का असर कोरोना महामारी के मरीजों पर सबसे ज्यादा पड़ सकती है। उनकी देखभाल होना काफी मुश्किल हो सकता है । नर्सों का कहना है कि वो इस महामारी के दौर में हडताल पर नहीं जाना चाहते थे लेकिन एक महीना बीतने के बाद भी एम्स प्रशासन और स्वास्थ्य मंत्रालय उनकी मांगों की ओर गौर करने की बजाय कान्ट्रैक्ट पर नर्सों को भर्ती कर मरीजों का इलाज शुरू कर रहा है, जिसके चलते जो हड़ताल 16 दिसंबर से शुरू होनी थी उसे 14 दिसंबर को ही शुरू करना पड़ रहा है।
एम्स नर्सिंग यूनियन के अध्यक्ष हरीश कुमार काजला का कहना है कि हमारी कुछ मांगे हैं जोकि कोरोना होने से पहले से ही हम अस्पताल प्रशासन और सरकार के समक्ष लगातार रखते आए हैं। हमें आश्वासन तो दिया गया पर मांगों को पूरा करने की बजाय दूसरे रास्ते से कान्ट्रैक्ट पर नर्सों को भर्ती किया जाने लगा। जिससे हड़ताल करना हमारी मजबूरी बन गई। सरकार हमारी मांगों को मान ले तो हम तुरंत हड़ताल खत्म कर देंगे।
एम्स निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने नर्सों की हड़ताल को कोरोना महामारी के दौरान दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा सच्चे नर्सिंग कर्मचारी महामारी में हड़ताल नहीं करते। नर्सों की मुख्यतः 23 मांगें हैं जो सरकार और एम्स प्रशासन ने मान ली हैं। इसमें उनकी एक प्रमुख मांग छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करना है।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने दिल्ली हाइकोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि एम्स में नर्सिंग कार्य में कोई व्यवधान नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा गैर अनुपालन को आपदा प्रबंधन अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध माना जाएगा। स्वास्थ्य सचिव ने कहा अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।