Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक व्यक्ति को कड़ी फटकार लगाई। वह दो नाबालिग रूसी लड़कियों का पिता होने का दावा कर रहा था। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने याचिकाकर्ता के वकील से सवाल पूछा, “आपका अधिकार क्या है? आप कौन हैं।” वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता बच्चों का पिता है। जस्टिस कांत ने टिप्पणी की, “कृपया हमें कोई आधिकारिक दस्तावेज दिखाएं कि आपको पिता घोषित किया गया है और आगे कहा, “हम आपको डिपोर्ट करने का निर्देश क्यों न दें।”

प्रचार संबंधी याचिका- सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस जॉयमाल्या बागची ने भी याचिकाकर्ता के आचरण पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, “यह प्रचार संबंधी याचिका है। जब आपके बच्चे गुफा में रह रहे थे, तब आप क्या कर रहे थे।” जस्टिस कांत ने आगे पूछा कि आप गोवा में रहकर क्या कर रहे थे। इसके बाद याचिकाकर्ता ने याचिका को वापस लेने की इजाजत मांगी। इसको कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। सुनवाई के दौरान जस्टिस कांत ने टिप्पणी करते हुए कहा, “यह देश एक स्वर्ग बन गया है। कोई भी आता है और रहता है।”

क्या था पूरा मामला?

बता दें कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने पहले रूसी महिला और उसकी बेटियों को वापस भेजने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा था। वह कथित तौर पर पैसे खत्म हो जाने के बाद गोकर्ण के पास एक गुफा में रह रही थीं। याचिकाकर्ता-ड्रोर श्लोमो गोल्डस्टीन ने बेटियों के पिता होने का दावा करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने केंद्र सरकार को बेटियों को भारत से किसी अन्य देश में अचानक डिपोर्ट करने से रोकने की मांग की।

दूसरी तरफ राज्य सरकार ने तर्क दिया कि छोटे बच्चे की डीएनए की रिपोर्ट मिलने के बाद रूसी सरकार में संबंधित व्यक्ति को सूचना भेज दी गई थी। इसके बाद रूसी सरकार ने ईटीए जारी किए। इनकी वेलिडिटी काफी कम है। यह 25 सितंबर से 9 अक्टूबर है। यह भी बताया गया कि मां ने रूसी पासपोर्ट पर यात्रा की थी और वह निर्धारित समय से ज्यादा वक्त तक रुकी थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के सभी दावों को खारिज कर दिया था।

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