कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर के दफ्तर पर सोमवार (16 जुलाई) को हमला हो गया। यह हमला उनके तिरुवनंतपुरम स्थित दफ्तर के बाहर हुआ। हमलावरों ने इस दौरान होर्डिंग-बैनर के साथ तोड़-फोड़ की। विरोध जताते हुए उपद्रवियों ने नारेबाजी की और दफ्तर के गेट पर लगी होर्डिंग पर बनी थरूर की तस्वीर पर कालिख फेंकी।
दफ्तर पर हमले से कुछ रोज पहले थरूर ने एक बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि अगर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) आगामी लोकसभा चुनाव (2019) जीतती है, तो देश हिंदू पाकिस्तान बन जाएगा। इस बयान पर न केवल थरूर, बल्कि पार्टी की भी चारों ओर आलोचना हुई थी।
नतीजतन कांग्रेस ने बाद में थरूर के बयान से किनारा कर लिया था। मगर केरल में पार्टी की इकाई उसका समर्थन कर रही थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने इस हमले को अंजाम दिया था। उपद्रव के दौरान वे दफ्तर के भीतर घुस गए थे, जहां उन्होंने होर्डिंग पर कालिख फेंकी और काले झंडे लगाए।
यही नहीं, उपद्रवियों ने दफ्तर पर लगे बोर्ड फेंक दिए थे और उसकी जगह दूसरा बोर्ड लगाया। उस पर लिखा था- थरूर का पाकिस्तान दफ्तर।
हंगामे के बाद मौके पर सुरक्षाकर्मियों से थरूर को इसकी सूचना मिली। घटना के बाद उन्होंने इस बारे में मीडिया से बातचीत की। उन्होंने पूछा, “क्या यही हम इसी तरह की स्थिति देश में चाहते हैं? मैं यह चीज एक नागरिक के नाते पूछ रहा हूं, न कि सांसद के नाते। यह वह हिंदुत्व नहीं है, जिस मैं जानता हूं।”
अच्छी बात यह थी कि जिस वक्त हमला हुआ, तब थरूर दफ्तर पर नहीं थे। सूचना के बाद पुलिस मौके पर पहुंची, जिससे पहले ही उपद्रवी वहां से नौ दो ग्यारह हो चुके थे। ऐसे में पुलिस अधिकारियों ने शिकायत के आधार पर अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
वहीं, पार्टी की ओर से इस घटना की आलोचना की गई है। कांग्रेसी नेता रमेश चेन्निथला ने इस बारे में बताया, “डरपोक इस तरह हमला करते हैं। बीजेपा का असली चेहरा इसके जरिए सामने आया है।”