तमिलनाडु के मंत्री रहे सेंथिल बालाजी की अरेस्ट को लेकर मद्रास हाईकोर्ट में ही विवाद खड़ा हो गया था। डबल बेंच ने इस मामले की सुनवाई करके हिरासत पर खंडित फैसला दिया था। एक जज का कहना था कि हिरासत गलत है तो दूसरे का कहना था कि ईडी ने कुछ गलत नहीं किया। फिलहाल खंडित फैसले को तीसरे जस्टिस ने ठीक कर दिया है। उनका कहना है कि सेथिंल को हिरासत में लेकर ईडी ने कुछ गलत नहीं किया।

हाईकोर्ट के तीसरे जस्टिस सीवी कार्तिकेयन ने ईडी के हाथों तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी और इसके बाद निचली अदालत की ओर से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजे जाने को शुक्रवार को वैध ठहराया। मंत्री की गिरफ्तारी से संबंधित याचिका पर डबल बेंच के खंडित फैसले के बाद मामले की सुनवाई जस्टिस सीवी कार्तिकेयन के पास भेजी गई थी।

जस्टिस कार्तिकेयन बोले- चीफ जस्टिस के पास भेजा जाए उनका फैसला, वो जारी करेंगे अंतिम आदेश

जस्टिस कार्तिकेयन का कहना था कि एक बार गिरफ्तारी कानूनी है तो फिर रिमांड गलत कैसे हो सकता है। उनका कहना था कि जांच के दौरान लगता है कि गिरफ्तारी जरूरी है तो ऐसा किय़ा जाना चाहिए। लेकिन किसी भी आरोपी को ये अधिकार किसी कानून में नहीं दिया गया है कि वो जांच को उलझाने की कोशिश करे। उन्होंने हाईकोर्ट की रजिस्ट्री को आदेश दिया कि उनके आदेश को चीफ जस्टिस के सामने रखा जाए। वो पिछली सुनवाई को देखकर कोई ठोस फैसला लेंगे।

जस्टिस निशा बानू और जस्टिस डी भरत चक्रवर्ती की डबल बेंच ने सेंथिल बालाजी की पत्नी मेगाला द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (Habeas corpus) पर खंडित फैसला सुनाया था। निशा बानू ने माना था कि ईडी के पास हिरासत मांगने का कोई अधिकार नहीं है। उनका कहना था कि बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका विचार करने योग्य है। जबकि जस्टिस भरत चक्रवर्ती इससे सहमत नहीं थे। ईडी ने पिछले महीने राज्य के परिवहन विभाग में हुए ‘नौकरी के बदले नकदी’ घोटाले के सिलसिले में सेंथिल बालाजी को गिरफ्तार किया था। वह अब भी बिना विभाग के मंत्री बने हुए हैं।