वक्फ (संशोधन) बिल के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने अपना अभियान तेज कर दिया है। जमीयत की ओर से रविवार को टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू और जेडी(यू) नेता नीतीश कुमार से इस मुद्दे पर विचार करने का आह्वान किया गया है। जमीयत की ओर से कहा गया है कि अगर यह बिल लोकसभा में पास हुआ तो बीजेपी सरकार का समर्थन कर रही यह दोनों पार्टियां भी इसकी जिम्मेदार होंगी। जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने यह बयान इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में आयोजित ‘संविधान बचाओ सम्मेलन’ में दिया।
क्या बोले अरशद मदनी?
जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि देश की जनता ने भाजपा की नीतियों को नकार कर उसे हरा दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार दो बैसाखियों पर टिकी है, एक चंद्रबाबू नायडू और दूसरे बिहार के नीतीश कुमार। मदनी ने दावा किया कि उन्होंने नायडू को इस कार्यक्रम में बुलाया था, लेकिन वह नहीं आए और अपनी पार्टी के उपाध्यक्ष नवाब जान को भेज दिया है।
पीटीआई भाषा ने लिखा है कि अरशद मदनी ने कहा, “अगर मुसलमानों की भावनाओं को नज़रअंदाज़ करके वक्फ विधेयक पारित किया जाता है तो यह केंद्र में अन्य शक्तियों की तरह ही बैसाखी (नीतीश-नायडू) की भी ज़िम्मेदारी होगी।” जमीयत ने इस महीने के अंत तक या दिसंबर में चंद्रबाबू नायडू के निर्वाचन क्षेत्र में लगभग पांच लाख मुसलमानों की एक सभा आयोजित करने की योजना की घोषणा की है, जहां वे मुस्लिम समुदाय की चिंताओं और भावनाओं को विस्तार से पेश करेंगे। मदनी ने कहा कि वक्फ की स्थापना हमारे पूर्वजों ने की है और यह अल्लाह के स्वामित्व का हिस्सा है, जिस पर मस्जिदें बनी हैं।
‘हम कहीं से बाहर नहीं आए हैं’
जमीयत प्रमुख ने कहा, “सरकार को हमारी रक्षा करनी चाहिए क्योंकि हम इस देश में रहते हैं और हम कहीं बाहर से नहीं आए हैं। अगर हिंदू गुज्जर है, तो मुसलमान भी गुज्जर है। हिंदू जाट हैं, मुसलमान भी जाट हैं। वे नारे लगाते हैं कि हिंदू, मुस्लिम और सिख अलग हैं, लेकिन हम कहते हैं कि हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सब भाई भाई हैं।
‘हमें वक्फ संशोधन विधेयक को नाकामयाब करना है…’, TDP नेता के बयान से बढ़ सकती है BJP की टेंशन
मदनी ने कहा कि दिल्ली में कई मस्जिदें हैं, जिनमें से कुछ 400 से 500 साल पुरानी हैं। उन्होंने कहा कि भारत में एक वर्ग इन मस्जिदों पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है, उन्होंने सवाल उठाया कि 500 साल पुराने दस्तावेज कौन पेश कर सकता है। उन्होंने कहा कि कानून कहता है कि वक्फ की जमीन पर बनी कोई भी मस्जिद वक्फ मानी जाती है।