आदमखोर टाइगर से दो-दो हाथ करके उसे भागने पर मजबूर करने वाली महिला के प्रति वन विभाग का रवैया देखकर बॉम्बे हाईकोर्ट भी भौचक रह गया। हाईकोर्ट ने अपनी तल्ख टिप्पणी में फारेस्ट डिपार्टमेंट को तीखी फटकार लगाते हुए महिला को 1 लाख रुपये का हर्जाना देने का आदेश दिया।
बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस रोहित देव और व्रूशाली जोशी की बेंच ने कहा कि वो हैरत में हैं फारेस्ट डिपार्टमेंट का रवैया देखकर। महकमा मानता है कि टाइगर से टक्कर लेने वाली महिला को मामूली चोट आई हैं और उसके इलाज के लिए केवल 10 हजार रुपये की पर्याप्त है। बेंच ने इस बात पर भी हैरत जताई कि खुद महाराष्ट्र सरकार ने महिला को बहादुरी का पुरस्कार दिया है। लेकिन सरकार के ही महकमे को ऐसा कुछ नहीं लगता।
कविता के ऊपर खेत में किया था टाइगर ने हमला
महाराष्ट्र के चंदरपुर जिले में 24 जनवरी 2017 को कविता नाम की महिला खेत में गई थी। इसी दौरान एक बड़े टाइगर ने उस पर हमला कर दिया। हालांकि खेत में और भी लोग थे। लेकिन टाइगर से महिला को बचाने के लिए कोई नहीं आया। कविता ने जान को दांव पर लगाकर टाइगर से दो-दो हाथ किए। आसपास मौजूद लोगों ने जब उसकी जाबांजी को देखा तो महिला की मदद के लिए आगे बढ़े। लोगों को आता देख टाइगर भाग निकला। सारे मामले में महिला ने जिस बहादुरी का परिचय़ दिया उसे देख लोग बाग-बाग हो गए। उसने चीख पुकार मचाने की बजाए लड़ना बेहतर समझा।
भिड़ंत में महिला को कई जगह जख्म हुए, दिमागी परेशानी का शिकार भी बनी
हालांकि कविता का कहना है कि टाइगर से भिड़ंत काफी महंगी पड़ी। वहशी जानवर ने उसे कई जगहों पर जख्मी किया। वो मानसिक अवसाद का शिकार तो बनी ही। टाइगर के हमले के बाद शरीर के कई अंग ठीक से काम नहीं कर रहे। एक हाथ तो पूरी तरह से ही काम करना बंद कर गया। इसकी वजह से वो न तो घर का काम करने लायक रही और न ही कोई ऐसा काम जिससे वो अपने परिवार का भरण पोषण कर सके।
महिला ने हर्जाने के लिए फारेस्ट डिपार्टमेंट में दरख्वास्त लगाई तो महकमे ने 10 हजार रुपये का चेक देकर कहा कि उसे लगी चोटें इतनी गंभीर नहीं हैं। उसके इलाज और मानसिक क्षति पूर्ति के लिए इतनी रकम बहुत है। कविता और दूसरे लोगों का कहना था कि जंगली जानवरों से लोगों की रक्षा करना वन विभाग का दायित्व है। वो अपना काम करने में नाकाम रहा, उलटे वो ऐसे लोगों की मदद भी नहीं कर रहा जो जानवरों से जूझ रहे हैं।