रॉबर्ट वाड्रा से कथित जुड़ाव के चलते चर्चा में आए आर्म्स कंसल्टेंट संजय भंडारी ने पिछले कुछ सालों में बहुत तेजी से खुद को मजबूत बनाया है। जांच एजेंसियों को मिली जानकारी के अनुसार, रक्षा क्षेत्र में घुसने से पहले भंडारी दिल्ली के कनॉट प्लेस में अपने पिता की होम्योपैथिक क्लिनिक संभालता था। उसने मॉडर्न स्कूल से पढ़ाई की है जहां उसने कई सारे महत्वाकांक्षी दोस्त बनाए। 2002-07 में उसने तेल और नैचुरल गैस इंडस्ट्री में कदम रखा।
लेकिन भंडारी के रसूख में 2008 में भारी इजाफा हुआ। डिफेंस कॉलोनी के एक प्रॉपर्टी डीलर ने उसे दिल्ली के एलीट पावर सर्किल से रूबरू कराया जिसके बाद उसने रक्षा क्षेत्र में कदम रखा। उसने इंडस्ट्री के जाने-पहचाने नाम और अपने दोस्त, बिमल सरील का दामन थामा। नेताओं, अफसरों से करीबी बढ़ाने के बाद भंडारी ने हथियारों की दलाली शुरू कर दी।
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जांच एजेंसियों के राडार पर भंडारी उस वक्त आया, जब 2010 में भारतीय वायुसेना के लिए एक कॉन्ट्रैक्ट में उनकी भूमिका संदिग्ध पाई गई। वह ऑफसेट इंडिया सॉल्युशंस का मुख्य प्रमोटर है। यह कंपनी 2008 में इसलिए बनाई गई थी ताकि विदेशी विक्रेताओं से भारत द्वारा घरेलू उत्पादन क्षेत्र में कांट्रैक्ट की कुल वैल्यू का कम से कम 30 प्रतिशत निवेश कराया जाए।
दिल्ली के पावर कॉरिडोर के सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और भंडारी, सामाजिक दायरे में साथ-साथ देखे जाते रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, वे अक्सर दिल्ली के लोधी रोड स्थित एक लग्जरी होटल में दिखाई देते थे। लेकिन अब भंडारी पर रक्षा मंत्रालय के क्लासिफाइड पेपर्स रखने के लिए ऑफिशियल सीक्रेटस एक्ट के तहत मुकदमा चलने की आशंका है।
भंडारी की कंपनी OIS पूरी दुनिया में कारोबार करती है इसलिए उसकी आर्म्स इंडस्ट्री में मजबूत पकड़ है। इसी इंडस्ट्री के बहुत से लोगों को इस बात पर आश्चर्य होता है कि कंपनी ने कैसे इतना बड़ा कारोबार खड़ा कर लिया है। OIS के पास डिफेंस शोज में सबसे बड़े स्टॉल होते हैं, वह भी तब उसके पास भारत से जुड़ा कोई भी बड़ा काॅन्ट्रैक्ट नहीं है। OIS को कभी कोई बड़ा कॉन्ट्रैक्ट नहीं मिला, मगर कंपनी इंटरनेशनल डिफेंस शोज में मार्केटिंग के लिए भारी रकम खर्च करती रही है।
भंडारी के वाड्रा और अन्य राजनीतिज्ञों, अफसरों से रिश्तों की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय ने वित्त मंत्रालय की एक इकाई, फायनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट से मदद मांगी है। ईडी को भंडारी और उनकी कंपनियों द्वारा विदेश में किए गए निवेशों का पता लगाने के लिए ऐसा करना पड़ा।
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ईमेल और फोन कॉल रिकॉर्ड की छानबीन के बाद जांचकर्ताओं ने खुलासा किया है कि भंडारी ब्यूरोक्रेटस, राजनेताओं और निजी कंपनियों, खासतौर से रक्षा सेक्टर में काम करने वालों के बराबर संपर्क में रहा। जांच में उसके बीजेपी और कांग्रेस, दोनों पार्टी के नेताओं से संपर्क की बात सामने आई है। भंडारी दुनिया की सबसे बड़ी डिफेंस कंपनियों के दिल्ली में हुए सोशल इवेंटस में बराबर शामिल होता रहा है।
OIS और भंडारी के खिलाफ जांच जारी रहेगी। उसके पास से मिले कागजात बहुत संवेदशनील हैं, इसलिए ऑफिशियल सीक्रेटस एक्ट भंडारी पर भारी पड़ सकता है। कुछ इसी तरह के आरोपों के आधार पर आर्म्स डीलर अभिषेक वर्मा 2012 से तिहाड़ जेल में कैद है।
