इंदौर के भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गीय के हाथों पिटे नगर निगम के अधिकारी ने कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान अपना बयान बदल दिया है। आकाश ने जून 2019 को क्रिकेट के बैट से इस अधिकारी की पिटाई कर दी थी। अब इस मामले की जिला कोर्ट में सुनवाई के दौरान निगम अधिकारी ने अपने बयान बदल दिया है।
मामले के मुताबिक नगर निगम का अमला इंदौर के गंजी कंपाउंड में एक जर्जर मकान समेत अन्य मकानों को तोड़ने पहुंचा था। उसी दौरान इंदौर विधानसभा-3 के विधायक आकाश विजयवर्गीय भी समर्थकों के साथ वहां पहुंचे। उन्होंने निगम अधिकारियों से कहासुनी के बाद निगम के जोनल ऑफिसर वीरेंद्र बायस की क्रिकेट बैट से पिटाई कर दी।
बायस ने मामले की शिकायत एमजी रोड पुलिस से की थी। अपने बयान में बायस ने विधायक और उनके समर्थकों पर मारपीट करने का आरोप लगाया था। इस मामले के वीडियो फुटेज वायरल होने के बाद कमलनाथ की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने आरोपियों की गिरफ्तारी के आदेश दिए थे। पुलिस ने आकाश और उनके 11 समर्थकों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया था। अदालत ने सभी को 11 जुलाई तक 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। भोपाल की स्पेशल कोर्ट से 29 जून को उन्हें जमानत मिल गई थी।
मामले की सुनवाई के दौरान बायस से कोर्ट में उन पर हमला करने वाले की पहचान करने को कहा गया तो वो बोले कि उन्हें नहीं पता कि किसने उनकी पिटाई की थी। इसके बाद आकाश के खिलाफ दर्ज मामला की पूरी तरह से खत्म हो गया। बायस के बयान खासा चर्चा का विषय बन गया है।
हालांकि, जानकारों का कहना है कि कैलाश विजयवर्गीय हमेशा से उग्र राजनीति के लिए जाने जाते रहे हैं। लेकिन उनके पुत्र आकाश गंभीर और सौम्य छवि वाले नेता माने जाते थे। कैलाश की राजनीति ऐसी रही है कि कई बार इंदौर शहर के स्थानीय अधिकारियों को उनके गुस्से का सामना करना पड़ा।
अपनी राजनीति की शुरुआत के दौरान इंदौर में एक क्षेत्र में पानी की समस्या के लिए प्रदर्शन करने पहुंचे विजयवर्गीय ने हाथों में जूता उठा लिया था। उसके बाद भी कई ऐसे मौके आए जब उन्होंने अधिकारियों के साथ हाथापाई करने की कोशिश की। इंदौर में एक फैशन शो के आयोजन को लेकर उनके और उस वक्त के कलेक्टर के बीच भी काफी विवाद हुआ था।