प्रदूषण से मुक्त गंगा नदी की तमाम कोशिशों के बीच सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब गंगा नदी में गंदगी फैलाने या उसके बहाव में रुकावट पैदा करने वालों को 5 साल तक की सजा के साथ-साथ 50 करोड़ रुपए का जुर्माना भी देना पड़ सकता है। ‘द नेशनल रिवर गंगा बिल 2019’ के तहत सरकार ने यह प्रस्ताव तैयार किया है, जिसे संसद के शीतकालीन सत्र (Winter Session Bills) के दौरान सोमवार (18 नवंबर) को पेश किया जा सकता है।
गैर-जमानती होगा अपराधः जल शक्ति मंत्रालय की तरफ से कैबिनेट की मंजूरी के लिए रखे गए ड्राफ्ट बिल के मुताबिक इस अधनियम के अंतर्गत किए जाने वाले अपराध गैर-जमानती रहेंगे। सूत्रों के मुताबिक ड्राफ्ट बिल में 13 अनुच्छेद और तीन अनुसूचियां होंगी। इनमें अलग-अलग अपराध के हिसाब से पेनल्टी तय की गई है। इनमें अवैध निर्माण, दूषित जल का बहाव, गंगा के बहाव में बाधा पैदा करना, पानी चोरी, घाटों में तोड़फोड़ आदि शामिल है।
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किस गलती पर कितना जुर्माना?: सूत्रों के अनुसार लिखी गई इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक खनन या भूजल दोहन जैसी गतिविधियों पर नियंत्रण के लिए 10 लाख रुपए तक के जुर्माने या दो साल तक की सजा हो सकती है। घाटों को नुकसान पहुंचाने पर 10 हजार रुपए या पुनर्निर्माण की लागत का जुर्माना लगाया जा सकता है। प्रस्तावित कानून में निर्धारित प्रावधान के मुताबिक कोई भी गलती पकड़े जाने पर गिरफ्तार किया जा सकता है। इसके बाद उसे स्थानीय पुलिस थाने ले जाया जाएगा।
पीएम की अध्यक्षता में काउंसिल का प्रस्तावः इस बिल का मकसद गंगा नदी की स्वच्छता बढ़ाना और प्रदूषण नियंत्रण करना है। इस बिल में नेशनल गंगा काउंसिल भी बनाने का प्रस्ताव है, जिसका नेतृत्व खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। इसमें उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों के साथ-साथ केंद्रीय मंत्री भी शामिल रहेंगे। बता दें कि ये सभी राज्य गंगा नदी के किनारे बसे हुए हैं।

