पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि अपनी पत्नी की हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए शख्स का उसके स्त्रीधन (दहेज में मिला सामान) पर कोई हक नहीं है। ये सारी चीजें महिला के पिता को दी जानी चाहिए। हाईकोर्ट ने इस मामले में ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को सही ठहराया जिसमें सजायाफ्ता पति की याचिका को ठुकरा दिया गया था। हाईकोर्ट का कहना था कि लोअर कोर्ट का फैसला सही था।
संदीप तोमर बनाम स्टेट ऑफ पंजाब के मामले में हाईकोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि स्त्रीधन लड़की को उसके पिता की तरफ से दिया जाता है। दरअसल पत्नी की हत्या के मामले में दोषी करार दिए गए संदीप ने कोर्ट से मांग की थी कि स्त्रीधन पर उसका और बच्चों का अधिकार है। हाईकोर्ट के जस्टिस एम रामचंद्र राव और जस्टिस सुखविंदर कौर की बेंच ने Dowry Prohibition Act, 1961 के सेक्शन 6 के क्लाज 3 का जिक्र करते हुए कहा कि हम इसे नजरंदाज नहीं कर सकते।
हाईकोर्ट में दोषी करार दिए गए शख्स ने लोअर कोर्ट के 2016 के फैसले को चुनौती दी थी। लोअर कोर्ट ने दहेज में मिले सामान को महिला के पिता राम नरेश सिंह के हवाले करने का आदेश सुनाया था। पति ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देकर कहा कि ये आदेश सरासर गलत है। 2014 में संदीप को एक अदालत ने पत्नी की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा सुनाई थी।
संदीप के वकील ने हाईकोर्ट में दलील दी कि Hindu Succession Act, 1956 का सेक्शन 15(1) के तहत जो कुछ भी पत्नी का था वो उसके बाद पति और बच्चों को मिलना चाहिए। जबकि विरोधी पक्ष के वकील ने कहा कि शादी के समय स्त्रीधन के रूप में जो महिला को मिला वो उसके पिता ने दिया था। लिहाजा उसकी मौत के बाद इन सारी चीजों पर उसका ही हक होना चाहिए। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को सही बताया जिसमें कहा गया था कि हत्या के मामले से बरी होने के बाद भी पति का स्त्रीधन पर कोई हक नहीं होगा।