रिवाल्वर की गोली लेकर इंदिया गांधी एयरपोर्ट पहुंचना शख्स के लिए खासा भारी पड़ गया। सात साल पुराने केस मेें हाईकोर्ट ने आरोपी को राहत तो दे दी अलबत्ता मोटी चपत लगाने के बाद। उसे आदेश दिया गया कि वो पचास हजार रुपये रेजिमेंटल फंड अकाउंट, 3 असम में जमा करवाए।
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस सौरभ बनर्जी ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास से केवल एक कारतूस बरामद हुआ था। रिकार्ड से लगता है कि ये उसके ट्रेवल बैग में गलती से रह गया। जस्टिस ने कहा कि हालात देखने के बाद उनको लगता है कि ये केस खारिज करने के लिए बिलकुल फिट है, क्योंकि याचिकाकर्ता की अपने साथ कारतूस लेकर जाने की मंशा नहीं थी। कोर्ट ने सात साल पुराना केस खारिज करते हुए कहा कि पुलिस भी इस मामले में बेवजह की माथापच्ची करके बिजी हो रही है। लिहाजा इस केस को खारिज करना ही सबसे उपयुक्त कदम रहेगा। कोर्ट ने इस मामले को खारिज करते समय बीते समय में इसी तरह के कुछ मामलों में दिए गए फैसलों का भी जिक्र किया। जस्टिस का कहना था कि ये केस खारिज ही होना चाहिए।
समाज की बेहतरी के लिए लगा दी 50 हजार की चपत
हाईकोर्ट ने कहा कि गलती तो हुई ही थी। लिहाजा समाज की बेहतरी के लिए अदालत आदेश देती है कि याचिकाकर्ता पचास हजार रुपये रेजिमेंटल फंड अकाउंट में जमा करवाए। 17 अगस्त को दिए फैसले में अदालत ने एक सप्ताह के भीतर रकम संबंधित खाते में जमा कराने का आदेश दिया।
वकील ने हाईकोर्ट को बताया कि बैग में कैसे पहुंचा कारतूस
याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से कहा कि 2016 में उसका मुवक्किल मो. नाजिम एक शादी में शरीक होने बिजनौर गया था। वो अपने एक फैमिली फ्रेंड के पास ठहरा था। दोस्त के पास एक रिवाल्वर था। इसका लाइसेंस भी उसके पास था। उसने उसके मुवक्किल को हथियार और कारतूस दिखाए। इसी दौरान एक कारतूस गलती से उसके क्लाइंट के बैग में चला गया। उसने ध्यान नहीं दिया। उसके कुछ दिनों बाद वो कहीं जाने के लिए एयरपोर्ट पहुंचा था। चेकिंग के दौरान उसके बैग से कारतूस निकल आया। उसके बाद पुलिस ने केस दर्ज कर दिया। तब से वो अदालतों में धक्के खा रहा है।