मध्य जुरासिक काल में उड़ने वाले सबसे बड़े जानवर का कंकाल स्काटलैंड के स्काई आइल में मिला है। शोधकर्ताओं का कहना है कि अब तक के इतिहास में यह सबसे अच्छे ढंग से संरक्षित जीवाश्मों में से एक है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, स्काटलैंड बादल और अनवरत बारिश के लिए मशहूर है। 17 करोड़ साल पहले वह ज्यादा गरम और उष्ण था। तब वहां ढाई मीटर विस्तार वाले विशाल डैनों से लैस महाकाय सरीसृप निवास करते थे।
उड़ने वाले जीवों में विशालकाय जानवरों की श्रेणी में विशाल टेरेसार का नाम आता है। इनमें 40 फुट चौड़े पंखों वाले टेरोसार क्वेट्जाल्कोएटलस सबसे बड़े माने जाते हैं। हालांकि, ये कैसे उड़ा करते थे इस पर अभी तक स्पष्ट रूप से पता नहीं चल सका था। नए अध्ययन में उनकी उड़ान के बारे में ही पता लगाया गया है। इन विशालकाय जीवों के बारे में पता चला है कि ये हवा में कम से कम आठ फुट तक छलांग मारते थे और अपने हवा में अपने पंखों से उड़ान भरा करते थे।
यह अध्ययन इसी महीने ‘सोसाइटी आफ वर्टिब्रेट पेलिएएंटोलाजी’ में प्रकाशित हुआ है। यह एक विस्तृत रूप में एक प्रस्तावना और पांच शोधों को मिश्रण है। टेक्सास यूनिवर्सिटी के निदेशक और इस संकलन के सह संपादक मैथ्य ब्राउन का कहना है कि यह पहली बार है कि इस तरह की इतना विस्तृत अध्ययन प्रकाशित किया गया है। खोजी गई नई प्रजाति को नाम दिया गया है, ‘जार्क स्काईअनआक।’ यह स्काटिश-गाइलिक मूल का एक शब्द है, जिसके दो मतलब होते हैं- ‘पंखों वाला सरीसृप’ या ‘आसमान का सरीसृप।’ जीवाश्म विज्ञानी स्टीफन ब्रुसेट के मुताबिक, जो कंकाल मिला है वह आला दर्जे का है।
एडिनबरा यूनिवर्सिटी में जीवाश्म विज्ञानी स्टीफन, 2017 में नेशनल ज्योग्राफिक सोसाइटी के अनुदान वाले उस अभियान के अगुआ थे जिसने ‘जार्क स्काईअनआक’ को खोजा था। माना जा रहा है कि 19वीं सदी की शुरुआत में मैरी एनिंग के दिनों के बाद अब जाकर ऐसा जीवाश्म मिला है, जो दुरुस्त है। मैरी एनिंग शुरुआती मशहूर अंग्रेज जीवाश्मविज्ञानी थीं, जिन्होंने कई जीवाश्मों की खोज की थी।
उड़ने वाले सरीसृप, टेरोसार या टेरोडक्टाइल 22 करोड़ 80 लाख साल पहले ट्रियासिक काल के आखिरी चरण से लेकर 6 करोड़ 60 लाख पहले क्रेटेसियस काल के अंत तक अस्तित्व में थे। टेरोसार उड़ने वाले पहले कशेरुकी यानी रीढ़ वाले जानवर थे। टेरोसार, डायनासोर नहीं हैं। हालांकि, वे एक ही सरीसृप वंशवृक्ष की अलग शाखा से निकले हैं। इस जीवाश्म की खोज से पहले, वैज्ञानिक सोचते थे कि ट्राइएसिक और जुरेसिक कालों के दरमियान टेरोसार बामुश्किल ही 1.6 मीटर से अधिक बड़े होते थे।
शोध रिपोर्ट की प्रमुख लेखिका नतालिया जागीलस्का के मुताबिक, एक और चीज जो इस जीवाश्म को इतना दुर्लभ बनाती है वो यह है कि मध्य जुरासिक काल के जीवाश्मों का मिलना ही कठिन है और टेरोसार को खोजना तो और भी मुश्किल है। फासिल रेकार्ड में वे बहुत ही कम संरक्षित रखे गए हैं। वे बहुत बहुत ज्यादा नाजुक हैं। उनकी हड्डियां बहुत पतली होती हैं और चूर हो जाती हैं। उसकी खोपड़ी का गहराई से अध्ययन करने से पता चला कि उसकी नजर शायद बहुत तेज रही होगी और संतुलन का उसमें एक अच्छा बोध होगा। जागीलस्का के मुताबिक उड़ने वाले जीव के लिए ये दोनों खूबियां काफी मददगार होती हैं। जीवाश्म के अध्ययन से ये भी मालूम हुआ कि वो कंकाल किसी वयस्क का नहीं था। हड्डियों की माइक्रोस्कोप से छानबीन में स्काटलैंड के शोधकर्ताओं ने पाया कि जार्क स्काईअनआक बड़ा हो ही रहा था।