मणिपुर हाईकोर्ट ने चुराचांदपुर जिले के हाओलाई खोपी गांव में उस प्रस्तावित स्थल को लेकर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया, जहां कुकी-जो समुदाय के लोगों ने जातीय संघर्ष में मारे गए 35 लोगों की अंत्येष्टि करने की योजना बनाई थी। एक्टिंग चीफ जस्टिस एमवी मुरलीधरन ने सुबह छह बजे सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किया। चीफ जस्टिस ने केंद्र व राज्य सरकार को हिदायत देते हुए कहा कि विवादित जगह पर लॉ एंड आर्डर को दुरुस्त रखने के लिए हर संभव कोशिश की जाए। सरकार तय करे कि हिंसा की घटना सामने न आने पाए।
चीफ जस्टिस ने कहा कि कुकी-जो समुदाय एक सप्ताह के भीतर सरकार से संपर्क करके शवों की अंत्येष्टि के लिए जगह आवंटित करने की अपील कर सकता है। हाईकोर्ट ने सरकार से भी कहा कि वो विवाद के समाधान के लिए सभी पक्षों के बीच शांति वार्ता आयोजित कराए। इस मसले का समाधान शांति से निकलना चाहिए। सरकार को इसके लिए हर संभव कोशिश करनी चाहिए।
अमित शाह के आग्रह को मान रहा है ITLF
उधर कुकी-जो समुदाय का संगठन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अनुरोध के बाद अत्येष्टि कार्यक्रम पांच दिनों के लिए सशर्त स्थगित करने पर सहमत हो गया। मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा ने भी उनसे ऐसा ही अनुरोध किया था।
आईटीएलएफ ने कहा कि हमने कल रात से सुबह चार बजे तक बैठक की। गृह मंत्रालय ने हमसे अंत्येष्टि कार्यक्रम पांच और दिनों के लिए स्थगित करने का अनुरोध किया था। हम इस आग्रह को स्वीकार करते हैं तो हमें उसी स्थान पर अंतिम संस्कार करने की अनुमति मिल जाएगी। मिजोरम के मुख्यमंत्री ने भी ऐसा ही अनुरोध किया था। उसने कहा कि विभिन्न पक्षकारों के साथ देर रात लंबे विचार-विमर्श के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि हम गृह मंत्रालय के अनुरोध पर सहमत हैं, बशर्ते वह हमारी पांच मांगों पर लिखित में आश्वासन दें।
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।