कोरोना वार्ड से निकले सभी शवों की एक पहचान है और वो है ‘पर्ची -कोविड-19’। विशेष पैकेट में सील इन शवों का पूरा निपटान सरकारी तंत्र कर रहा है। शव को अस्पताल के 4 डिग्री सेंटीग्रेड वाले मुर्दाघरों से सीधे 800 डिग्री सेंटीग्रेड वाले शवदाह चेंबर में पहुंचाया जा रहा है।
निगमबोध घाट पर सामान्य एंबुलेंस में दो डॉक्टरों के साथ ‘कोविड-19’ लिखी पर्ची वाले शव को देखते ही पूरा श्मशान घाट सजग हो जाता है। पहले से तैयार बैठे यहां के कर्मचारी और कार्यकर्ताओं की एक टीम मिशन पर लग जाती है। इनके चेहरे नहीं देखे जा सकते। पूरी तरह विशेष किट से लैशो छह-आठ लोगों की यह टीम शव निपटान का काम शुरू करने से पहले जोर-जोर से कुछ हिदायतें देती है। मसलन, दूर से देखिए। बता दें कि आम तौर पर दाह से पहले यहां होने वाले मंत्रोच्चारण, शव प्रतिष्ठा, शव स्नान व लेप, अगरबत्ती, फूल आदि भी ‘कोविड-19’ के केस में पूरी तरह से निषेध है। परिजनों को कफन भी न डालने की हिदायत है। किसी भी रीति रिवाज के करने की सख्त मनाही है। परिजन केवल दूर से देख पा रहे हैं कि कैसे शवदाह के लिए आरक्षित सीएनजी चालित शवदाह चैंबर के सुपुर्द किया जा रहा है। करीब दो घंटे के बाद कोविद-19 संक्रमित शव राख के रूप में बाहर निकलती है लेकिन इसे लेने वाला कोई दावेदार वहां मौजूद नहीं होता है।
निगम बोध घाट संचालन समिति के प्रधान सुमन गुप्ता ने कहा कि दिल्ली में कोरोना से अबतक मरे 47 लोगों में से करीब 30 की अंत्येष्टि निगमबोध घाट पर हुई। कोविंड -19 शव को ना तो कई कंधा नसीब हो रहा है और ना ही जलने के बाद कोई अपने प्रियजन के राख की चाहत कर रहा है। इस काम में लगी संस्था ‘बड़ी पंचायत वैश्य बीसे अग्रवाल’ के स्वयं सेवक विशाल मिश्र ने कहा कि कोरोना के शिकार लोगों की अंतिम क्रिया में शामिल होकर हमलोग ड्यूटी नहीं, फर्ज भी निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि यहां आने वाला हर परिवार दुखी ही होता है लेकिन कोविड-19 वाले परिजन को जानेवाले के लिए कुछ भी न कर सकने का मलाल साफ दिखता है। वे बताते हैं कि सरकार के दिशा-निर्देशों के आधार पर कोविड-19 संक्रमण से मरे लोगों की अंतिम क्रिया संपन्न कराई जा रही है।
शवों के साथ आने वाले डॉक्टरों के मुताबिक कोरोना के मृतक के अंतिम दर्शन के लिए ‘बॉडी बैग’ को केवल एक ही बार खोला जा सकता है और ये काम भी सिर्फ मेडिकल स्टाफ ही कर सकता है और वो भी अस्पतालों के शवगृह के आरक्षित जगह पर। शमशान घाट पर केवल दूर से देखने की इजाजत है। ऐसी ही स्थिति पंजाबी बाग और लोदी रोड स्थित शमशान घाट की है। पंजाबी बाग श्मशान घाट के व्यवस्थापक नीरज बाली के मुताबिक बिजली से चलने वाले आधे शवदाह चेंबर को कोविड-19 वाले शवों के लिए आरक्षित कर दिया गया है। कोरोना विषाणु के चलते यहां श्मशान घाट को दिन में दो बार सैनिटाइज किया जा रहा है। वहीं यहां जो भी आ रहा है उससे सामाजिक दूरी का पालन करने की हिदायत लगातार दी जा रही है।
कब्रिस्तान की स्थिति कुछ अलग
दिल्ली वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एसएम अली के मुताबिक कोरोना संक्रमण से मरने वाले मुसलिम समुदाय के लोगों की अंत्येष्टि के लिए दक्षिण दिल्ली में मिलेनियम पार्क के पास स्थित एक कब्रिस्तान निर्धारित किया गया है। कोरोना विषाणु से संक्रमित मरीजों की मौत के बाद उनकी अंत्येष्टि में उनके सगे-संबंधियों को आ रही परेशानियों के मद्देनजर बोर्ड ने यह कदम उठाया है। लेकिन इससे पहले तक दिल्ली गेट स्थित कब्रिस्तान में ही अंत्येष्टि हो रही है। सारा काम सरकारी अमला कर रहा है। दिल्ली गेट स्थित कब्रिस्तान के मुंशी ने इसकी पुष्टि की।
बता दें कि श्मशान से इतर कब्रिस्तान की स्थिति कुछ अलग है। हालांकि सरकार के दिशानिर्देशों का पूरी तरह पालन हो रहा है। कंधा यहां भी नसीब नहीं है।
शवों के साथ यहां पहुंचने वाले लोगों के संख्या श्मशान घाट की अपेक्षा कुछ ज्यादा है। लेकिन तय अधिकतम संख्या 20 से कम। साथ ही यहां भी मृत शरीर को छूना, चूमना या गले लगाना एकदम मना है। आम तौर पर तीन से चार फीट गहरी खोदी जाने वाली कब्र कोविड-19 के मामले में 12 से 15 फीट तक खोदी जा रही है। इस काम में जेसीबी का प्रयोग हो रहा है। परिजनों को सामाजिक दूरी बरकरार रखते हुए और संक्रमण से बचाव के सभी इंतजाम करते हुए दूर से जनाजे की नमाज पढ़ने की इजाजत दी गई है।
कौमी महास के अध्यक्ष और दरगाह के प्रबंध समिति के सदस्य मोहम्मद जावेद ने कहा कि कोविड 19 के अलावा इस दौरान दूसरे बीमारियों से हो रहे मौत के मामलों में शवों का निपटान कोविड-19 की तरह नहीं किया जाना चाहिए। दूसरे मुसलिम संगठनों मसलन जमियते इस्लामी हिंद आदि का मानना है कि देश में स्थिति ‘सामाजिक आपातकाल’ जैसी है और दिशा निर्देश पर अमल की जरूरत है।
जितनी प्राथमिकता कोरोना संक्रमित व्यक्ति के जीवन को बचाने की है उतनी ही प्राथमिकता उनके शवों को सही तरीके से दफनाने की भी है। क्योंकि संक्रमण का खतरा दोनों जगह है।

