प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत के आकस्मिक निधन के बाद अब उनके उत्तराधिकारी का सवाल उठ खड़ा हुआ है। सरकार इस सवाल पर विचार कर रही है कि इस पद पर जनरल रावत का ही समकक्ष कोई पूर्व अधिकारी बैठेगा या मौजूदा सैन्य प्रमुखों में से किसी की नियुक्ति की जाएगी।
नए सीडीएस का नाम रक्षा मामलों से जुड़ी एक उच्च स्तरीय समिति तय करेगी, जिसके अध्यक्ष रक्षा मंत्री होते हैं। यह समिति अगले आठ से 10 दिन के भीतर नए सीडीएस का नाम सरकार को दे देगी। रक्षा मंत्रालय ने सीडीएस के लिए जो नियम तय किए हैं, उनके तहत ही नाम तय किया जाएगा। नियमानुसार, सेना के तीनों अंगों का कोई कमांडिंग अफसर या फ्लैग अफसर इस पद के काबिल है! इस पद पर नियुक्त अधिकारी 65 साल की उम्र तक सेवा दे सकता है। नियमों के अनुसार, सेना के तीनों अंगों के प्रमुख इस पद के लिए दावेदार हो सकते हैं। हालांकि, संभावनाओं के आधार पर माना जा रहा है कि तीनों प्रमुखों में से सबसे वरिष्ठ को इस पद के लिए चुना जा सकता है। अभी वरिष्ठतम सैन्य कमांडर थलसेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे हैं। वे 60 साल के हो चुके हैं। उन्हें कुशल सामरिक रणनीतिकार माना जाता है।
प्रमुख रक्षा अध्यक्ष पद की सिफारिश वर्ष 2001 में मंत्रियों के एक समूह ने की थी। यह जीओएम करगिल समीक्षा समिति की रिपोर्ट का अध्ययन कर रहा था। जीओएम की सिफारिश के बाद सरकार ने वर्ष 2002 में सीडीएस के पद को गठित करने के लिए एकीकृत रक्षा स्टाफ सेवा का गठन किया था, जिसे सीडीएस सचिवालय के तौर पर काम करना था। साल 2012 में सीडीएस के लिए नरेश चंद्र समिति ने स्टाफ कमेटी के स्थायी अध्यक्ष को नियुक्त करने की सिफारिश की थी। इस पद के गठन की प्रक्रिया 2014 में तेज की गई और 2019 में सीडीएस का पद सृजित किया गया। जनरल बिपिन रावत को 30 दिसंबर 2019 को देश के पहले सीडीएस के तौर पर नियुक्त किया। तभी से वे इस पद पर रहकर कार्य कर रहे थे।
सीडीएस पद पर तैनात अधिकारी का वेतन और सुविधाएं अन्य सेना प्रमुखों के बराबर रखी गई हैं। किसी सेना प्रमुख को सीडीएस बनाए जाने पर आयु सीमा का नियम बाधा न बने, इसीलिए सीडीएस पद पर रहने वाले अधिकारी अधिकतम 65 वर्ष की आयु तक इस पद पर काम कर सकेंगे। सेना प्रमुख अधिकतम 62 वर्ष की आयु या 3 वर्ष के कार्यकाल तक अपने पद पर रह सकते हैं। केंद्र सरकार ने सेना के नियम 1954, नौसेना (अनुशासन और विविध प्रावधान) विनियम 1965, सेवा की शर्तें और विविध विनियम 1963 और वायु सेना विनियम 1964 में संशोधन किया था।