सेहत के लिए खतरनाक Pesticides को बैन करने के मामले में केंद्र की हीलाहवाली पर सुप्रीम कोर्ट का पारा चढ़ गया। सीजेआई चंद्रचूड़ केंद्र के फैसले पर इस कदर खफा थे कि उन्होंने ओपन कोर्ट में कहा कि जब तक फैसला आपके मनमाफिक नहीं आ जाएगा तब तक कमेटी पर कमेटी बनाते रहेंगे क्या? उनका कहना था कि केंद्र पहले की कमेटियों की सिफारिशों पर अमल क्यों नहीं कर रहा है।

केंद्र ने पहले 27 Pesticides को ड्राफ्ट नोटिफिकेशन में बैन करने के लिए शामिल किया था। लेकिन जो फाइनल ड्राफ्ट बना उसमें केवल 3 Pesticides ही शामिल किए गए। जबकि दिसंबर 2015 में बनी अनुपम वर्मा कमेटी ने 66 में से 13 Pesticides को पूरी तरह से बैन करने के लिए कहा था।

Pesticides इंडस्ट्री ने रिपोर्ट पर आपत्ति जताई तो केंद्र ने 2017 में एसके मल्होत्रा कमेटी का गठन कर दिया। कमेटी ने 2018 में दी रिपोर्ट में कहा कि 27 Pesticides पर प्रतिबंध लगाए जाने की तुरंत जरूरत है। केंद्र ने इस कमेटी के फैसले पर भी अमल नहीं किया। उसने बीते साल टीपी राजेंद्रदन कमेटी बना दी।

सीजेआई ने टीपी राजेंद्रदन कमेटी पर उठाया सवाल

पिछली सुनवाई में सीजेआई ने केंद्र से पूछा था कि पिछली दो कमेटियों की रिपोर्ट को वो सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करे। वो बताए कि सिफारिश के बावजूद भी केवल 3 Pesticides क्यों बैन किए गए। आज की सुनवाई में सीजेआई के तेवर खासे तल्ख थे। उन्होंने केंद्र की तरफ से पेश वकील से कहा कि जब तक आपके मुताबिक फैसला नहीं आ जाएगा तब तक कमेटी पर कमेटी बनाते रहेंगे। उनका सवाल था कि केंद्र ने टीपी राजेंद्रदन कमेटी का गठन क्यों किया है।

एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कहा कि केंद्र का रवैया हीलाहवाली वाला है। हालांकि एडिशनल सॉलीसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि हम कोई भी फैसला लेने से पहले सुनिश्चित कर लेना चाहते हैं कि उसमें कोई मीनमेख न निकाल सके। इसी वजह से कमेटी के बाद कमेटी बनाकर ये देखा जा रहा है कि Pesticides पर बैन ठीक भी है या नहीं।