गुजरात सरकार पर सुप्रीम कोर्ट खासा नाराज है। इतना कि ओपन कोर्ट में जस्टिस एमआर शाह ने भूपेंद्र पटेल की सरकार को चेतावनी दे डाली। वो बोले कि सरकार अपनी हद में रहे। हमारे अधिकार क्षेत्र में दखल देने की कोशिश भी न करे। हमें गुस्सा आया तो आपको लेने के देने पड़ जाएंगे।
दरअसल जस्टिस एमआर शाह की अगुवाई वाली बेंच दो जिला जजों के प्रमोशन से जुड़े एक मामले की सुनवाई कर रही है। ये मामला सुप्रीम कोर्ट में अप्रैल से लंबित है। याचिका में जिला जजों के प्रमोशन को लेकर की गई सिफारिश पर सवाल उठाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से इस मामले में जवाब भी तलब किया था। लेकिन जवाब देने से पहले सरकार ने नोटिफिकेशन जारी करके जिला जजों को प्रमोशन भी दे डाला। सुप्रीम कोर्ट को याचिकाकर्ताओं ने बताया कि जो मामला आपके पास लंबित है उसमें सरकार ने पदोन्नति आदेश भी जारी कर दिया तो जस्टिस भड़क गए।
गुजरात सरकार के सचिव को सुप्रीम कोर्ट में पेश होने का आदेश
जस्टिस शाह ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि वो अपनी सीमा में रहकर ही काम करे। हमें गुस्सा दिलाने की कोशिश भी न करे। नहीं तो हम किसी का भी कैरियर खत्म कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के सचिव को खुद पेश होने का आदेश दिया। वो आकर बताए कि ऐसी भी क्या जल्दी थी जो हमारे आदेश की अवहेलना कर जजों की पदोन्नति का नोटिफिकेशन आनन फानन में जारी कर दिया गया। हालांकि इस दौरान गुजरात सरकार की तरफ से पेश वकील ने ये दलील दी कि हमारा इरादा गलत नहीं था।
जस्टिस शाह की बेंच का कहना था कि इरादे चेक करने की कोई एक्सरे मशीन नहीं है। हम कैसे पता लगा सकते हैं कि आपने हमारे आदेश की अवहेलना गलत इरादे से की या फिर सही इरादे से। जस्टिस शाह का कहना था कि वो सचिव का जवाब सुनेंगे। अगर उनके तर्क हमें सही नहीं लगे तो सरकार के नोटिफिकेशन को रद भी कर सकते हैं।
13 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने मांगा था जवाब, 18 को सरकार ने जारी कर दिया नोटिफिकेशन
गुजरात में दो जिला जजों की पदोन्नति के मामले को दो ऐसे लोगों ने चुनौती दी थी जो खुद भी दावेदार थे। उनका कहना था कि जिन जजों की पदोन्नति की सिफारिश हाईकोर्ट ने की है वो उनसे हर मामले में काफी पीछे हैं। यहां तक कि रिटेन टेस्ट में भी उनके नंबर दोनों से कम आए थे। सुप्रीम कोर्ट ने 13 अप्रैल को गुजरात सरकार से जवाब तलब किया था। 28 अप्रैल तक सरकार को अपना जवाब टॉप कोर्ट के पास भेजना था। लेकिन सरकार ने 18 अप्रैल को प्रमोशन का नोटिफिकेशन जारी कर दिया। प्रमोशन का ये मामला साल 2022 का है। सरकार का कहना था कि ये रुटीन में हो गया।