समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने बुलडोजर विवाद पर बयान देते हुए कहा कि यह संविधान के खिलाफ है। अखिलेश यादव ने सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का ज़िक्र करते हुए कहा कि मैं सभी को बधाई देता हूं कि न्याय का बुलडोजर चल गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बुलडोजर चलाए जाने से जुड़े मामलों के खिलाफ़ कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि सिर्फ़ इसलिए किसी संपत्ति को नहीं गिराया जा सकता क्योंकि वह किसी ऐसे व्यक्ति की है जिस पर अपराध का आरोप है। कोर्ट ने कहा कि वह इस मुद्दे पर दिशा-निर्देश तय करने का प्रस्ताव रखता है।

अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा कि ‘अन्याय के बुलडोज़र’ से बड़ा होता है, ‘न्याय का तराज़ू’, इससे पहले भी वह ‘बुलडोजर न्याय’ को लेकर योगी सरकार को घेरते रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच बुलडोजर कार्रवाई के विरुद्ध दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इस दौरान जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि सिर्फ इसलिए घर कैसे गिराया जा सकता है कि वो आरोपी है? अगर वो दोषी भी हो तो भी उसका घर नहीं गिराया जा सकता। जस्टिस विश्वनाथन ने कहा, “कुछ दिशा-निर्देश क्यों नहीं बनाए जा सकते? इसे सभी राज्यों में लागू किया जाना चाहिए… इसे सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता है।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह सार्वजनिक सड़कों को बाधित करने वाले किसी भी अवैध ढांचे को संरक्षण नहीं देगा। कोर्ट ने संबंधित पक्षों से सुझाव देने को कहा ताकि शीर्ष अदालत अचल संपत्तियों के विध्वंस से संबंधित मुद्दे पर पूरे देश के लिए उचित दिशा-निर्देश जारी कर सके। यह सुनवाई जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका पर सुनवाई हो रही थी। याचिका में किसी भी मामले पर आरोपियों के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की गई थी।