दिल्ली की कोर्ट में एक ऐसा वाकया देखने को मिला जो किसी भी नजरिये से दुरुस्त नहीं कहा जा सकता। दिल्ली दंगों को लेकर चल रही गवाही के दौरान जज ने टोका तो स्पेशल पब्लिक प्रासीक्यूटर हत्थे से उखड़ गया। उसने फाइलें फेंक दीं और फिर जज पर चिल्लाने लग पड़ा। हालांकि सीनियर एडवोकेट का रवैया किसी भी एंगल से ठीक नहीं था। लेकिन उसके बाद भी कोर्ट ने केवल चेतावनी जारी करके अपना पल्ला झाड़ लिया।

सवाल पूछकर मनमाफिक जवाब लेने की कोशिश कर रहे थे प्रासीक्यूटर

एडिशनल सेशन जज पुलत्स्या प्रमाचला की कोर्ट में ये वाकया पेश आया। दरअसल कोर्ट में दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले की सुनवाई की जा रही है। 2020 में सीएए प्रोटेस्ट के दौरान एक सिपाही चांद बाग में जख्मी हो गया था। कोर्ट प्रासीक्यूशन की तरफ से पेश गवाहों के बयान दर्ज कर रही थी। इसी दौरान स्पेशल पब्लिक प्रासीक्यूटर राजीव कृष्ण शर्मा गुस्से से आग बबूला हो गए। दरअसल जज को प्रासीक्यूटर की वो हरकत ठीक नहीं लगी जिसमें वो गवाह से सवाल पूछकर उसे जवाब भी सुझा रहे थे। जज ने दो बार उनको वार्निंग दी। लेकिन राजीव कृष्ण ने जब तीसरी बार ये हरकत की तो जज ने फिर से उनको रोका। बस फिर क्या था। प्रासीक्यूटर राजीव कृष्ण हत्थे से उखड़ गए। वो फाइल फेंककर जज पर ही चीखने लग पडे़।

सुनवाई फिर से शुरू हुई तो जज ने प्रासीक्यूटर को चेताया, वो फिर से चीख पड़े

उसके बाद सुनवाई थोड़ी देर के लिए स्थगित हो गई। लेकिन जब फिर से जज ने सुनवाई शुरू की तो फिर से पहले जैसा वाकया ही पेश आ गया। जज ने छह सवालों को लेकर प्रासीक्यूटर से आपत्ति जताई। उसके बाद राजीव कृष्ण फिर से चीखने लगे। उनका कहना था कि अदालत उनके सवालों के जवाब सुनने की इच्छुक ही नहीं है। जज पुलत्स्या प्रमाचला ने उनको समझाने की कोशिश की तो राजीव कृष्ण ने अदालत को ही Bias बता दिया।

जज पुलत्स्या प्रमाचला ने इस मामले की शिकायत सेशन जज से करने के साथ दिल्ली पुलिस के कमिश्नर को भी एक शिकायती चिट्ठी लिखी है। उनका कहना है कि जो कुछ हुआ वो दुर्भाग्यपूर्ण है। भविष्य में किसी भी कोर्ट में ऐसा वाकया फिर से ना हो इसके लिए पुलिस जरूरी कदम उठाए। हालांकि इस सारे मामले में चीखने चिल्लाने वाले पब्लिक प्रासीक्यूटर के खिलाफ कोई भी सख्त कदम उठाने से अदालत ने गुरेज किया।