SCO Summit: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को चीन के क़िंगदाओ में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में एक जॉइंट स्टेटमेंट पर साइन करने से मना कर दिया। रिपोर्ट के अनुसार, इस दस्तावेज में पहलगाम में हुए जघन्य आतंकी हमले का कोई जिक्र नहीं किया गया है, लेकिन बलूचिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों का सीधा जिक्र किया गया है। पाकिस्तान ने बार-बार भारत पर बलूचिस्तान की आजादी के आंदोलन का समर्थन करने का आरोप लगाया है, जबकि भारत ने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया है।
एससीओ समिट के दौरान राजनाथ सिंह ने आतंकवाद पर तीखा मैसेज दिया और अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले के मद्देनजर पाकिस्तान की कड़ी आलोचना की। सिंह ने कड़े लहजे में कहा, ‘कुछ देश क्रॉस बॉर्डर टेरेरिज्म को नीतिगत साधन के तौर पर इस्तेमाल करते हैं औऱ आतंकियों को पनाह देते हैं। ऐसे दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए।’
इसके बाद कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले और मई में भारत द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर का सीधा जिक्र करते हुए कहा राजनाथ सिंह ने कहा, ‘पहलगाम आतंकी हमले का पैटर्न भारत में लश्कर-ए -तैयबा के पिछले आतंकी हमलों से मेल खाता है। आतंकवाद से बचाव और सीमा पार से होने वाले आतंकी हमलों को रोकने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए भारत ने 7 मई 2025 को सीमा पार आतंकी ढांचे को ध्वस्त करने के लिए ऑपरेशन सिंदूर को सफलतापूर्वक शुरू किया।’
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एससीओ सदस्यों को आतंकवाद की निंदा करनी चाहिए – राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ की मौजूदगी में कहा, ‘आतंकवाद का कोई भी कृत्य आपराधिक और अनुचित है, चाहे उसका उद्देश्य कुछ भी हो, चाहे वह कभी भी, कहीं भी और किसी के द्वारा भी किया गया हो। एससीओ सदस्यों को इस बुराई की स्पष्ट रूप से निंदा करनी चाहिए।’ इसके अलावा, उन्होंने कहा, ‘भारत का मानना है कि बहुपक्षवाद संवाद और सहयोग के लिए तंत्र बनाकर देशों के बीच संघर्ष को रोकने के लिए सहयोग बनाने में मदद कर सकता है। कोई भी देश, चाहे वह कितना भी बड़ा और शक्तिशाली क्यों न हो, अकेले काम नहीं कर सकता। वास्तव में, वैश्विक व्यवस्था या बहुपक्षवाद का मूल विचार यह धारणा है कि राष्ट्रों को अपने पारस्परिक और सामूहिक लाभ के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना होगा। यह हमारी सदियों पुरानी संस्कृत कहावत ‘सर्वे जन सुखिनो भवन्तु’ को भी दर्शाता है, जिसका अर्थ है सभी के लिए शांति और समृद्धि।’
महामारी कोई भी सीमा नहीं मानती – राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह ने कहा, ‘कोविड-19 महामारी ने इस तथ्य को उजागर कर दिया है कि महामारी कोई सीमा नहीं मानती और जब तक सभी सुरक्षित नहीं हो जाते, तब तक कोई भी सुरक्षित नहीं है। यह इस बात का चेतावनी संकेत है कि महामारी, जलवायु परिवर्तन, खाद्य और जल सुरक्षा जैसी गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियां हमारे लोगों के जीवन को कैसे प्रभावित कर सकती हैं। इन उभरती चुनौतियों का समाधान जिम्मेदार नीतियों और राष्ट्रों के बीच सहयोग के बिना नहीं किया जा सकता।’ एससीओ समिट में जयशंकर का पाकिस्तान और चीन को कड़ा संदेश