देश भर के कई हिस्सों में शुक्रवार (10 जून) को जुमे की नमाज के बाद उग्र प्रदर्शन हुए। कई जगहों पर इन प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया जहां उपद्रवियों ने जमकर उत्पात मचाया और पुलिस पर पत्थर भी फेंके। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या ये हिंसा प्रायोजित थी? आखिर देश का माहौल कौन बिगाड़ रहा है? इस मुद्दे पर एबीपी न्यूज़ की डिबेट के दौरान डीयू के प्रोफेसर विशाल मिश्रा के कहा कि 2014 के बाद से एक भी स्कीम बताएं जिससे लगता हो कि भेदभाव हो रहा है। जिस पर सलमान निजामी ने पलटवार किया।

दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर विशाल मिश्रा ने कहा, “मैं इस मुद्दे पर एक सवाल करना चाहता हूं। अभी दो दिन पहले दिल्ली पुलिस ने कुछ एफ़आईआर किए थे स्पीच को लेकर तब भी नैरेटिव बनाने की कोशिश की जा रही थी कि ये एकतरफा हो रहा है।” उन्होंने आगे कहा क्या वो बताएंगे कि 2014 के बाद से ऐसा कौन सा भेदभाव हुआ है?

अपनी सहूलियत के हिसाब से बयान: प्रोफेसर मिश्रा ने आगे कहा, “2014 के बाद से ऐसी कोई एक स्कीम या योजना वो बता सकते हैं जिससे किसी एक विशेष वर्ग, जाति, समुदाय, धर्म को वंचित रखा गया है? जिस तरह से ये सौहार्द टूट रहा था इस पर उनका कोई बयान आया क्या?” उन्होंने आगे कहा, “अपनी सहूलियत के हिसाब से बयान देना आसान है, लेकिन जब छोटे-छोटे बच्चों के हाथ में पत्थर थमाया जा रहा था तब कोई सामने आकर क्यों नहीं बोला कि ये गलत है?”

दबाव में लिया नूपुर शर्मा पर एक्शन: प्रोफेसर ने कहा कि इन्हें न सरकार पर विश्वास है, न पुलिस पर न प्रशासन पर लेकिन ये कहते हैं कि इन्हें संविधान पर विश्वास है। जिसके जवाब में सलमान निजामी ने कहा कि देश में पिछले आठ सालों से जो माहौल है उसे मानना होगा। आज जो कुछ भी हुआ है वो इतने सालों से दबी हुई भावनाओं का उफान है। उन्होंने कहा कि नेशनल टेलीविजन पर रूलिंग पार्टी की प्रवक्ता हमारे पैगंबर के खिलाफ कुछ कहती हैं और उनके खिलाफ कोई एक्शन क्यों नहीं लिया गया जब तक कि दूसरे देशों से दबाव नहीं पड़ा।

श्री आनंद धाम, वृंदावन के सद्गुरु श्री ऋतेश्वर जी ने कहा, “पहले के समय में जब रामनवमी पर जुलूस निकलते थे तो उनमें तलवार, भालों से भी खेल होता था जो कि सही है। लेकिन वही तलवार अगर आप पुलिस पर चला दें तो वो गलत है। उसमें दंगा होगा।” उन्होंने कहा कि पत्थर, तलवार, गोलियां चलाना गलत है और ये लोगों को समझना होगा।