तेलंगाना में एसएलबीसी सुरंग का एक हिस्सा ढहने से पहले, इस साल 22 फरवरी को आठ लोग उसमें फंस गए थे। लेकिन पांच साल पहले ही एक रिपोर्ट में इस सुरंग के कमजोर हिस्से की चेतावनी दी गई थी। यह रिपोर्ट जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड के लिए बनाई गई थी, जिसे 2005 में सुरंग बनाने का ठेका मिला था। जनवरी 2020 में अम्बर्ग टेक एजी नाम की कंपनी ने यह रिपोर्ट तैयार की थी। रिपोर्ट में बताया गया था कि सुरंग के मुहाने से 13.88 किमी से 13.91 किमी के बीच एक फॉल्ट ज़ोन है, यानी ऐसा हिस्सा जहां चट्टान कमजोर है और पानी भरा हो सकता है। जब जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड से इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने रिपोर्ट की पुष्टि की, लेकिन ज्यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया। अम्बर्ग ने भी इसे गोपनीय बताते हुए कुछ भी कहने से मना कर दिया।

बचावकर्मियों के मुताबिक, सुरंग का वही हिस्सा गिरा, जिसके बारे में चेतावनी दी गई थी

रिपोर्ट में बताया गया था कि कंपनी ने भूकंपीय तरंगों (Seismic Waves) के जरिए चट्टान की ताकत का आकलन किया था। इस जांच में पाया गया कि कुछ हिस्सों में चट्टान कमजोर थी, वहां पानी भरा होने की संभावना थी और यह क्षेत्र खिसक भी सकता था। बचावकर्मियों के मुताबिक, सुरंग का वही हिस्सा गिरा, जिसके बारे में रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी। बचाव अभियान में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि “छत दोष क्षेत्र के चारों ओर करीब तीन मीटर तक गिर गई।” सुरंग में बार-बार पानी भरने की वजह से राहत कार्य में दिक्कतें आ रही हैं। बचाव अभियान 13.5 किमी के बाद केंद्रित है, जहां सुरंग बोरिंग मशीन फंसी हुई है और मजदूरों का कोई पता नहीं चल रहा।

यह रिपोर्ट 2020 में जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड को सौंपी गई थी, लेकिन यह साफ नहीं है कि इसे राज्य सरकार के सिंचाई विभाग को दिया गया था या नहीं। जब सिंचाई विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी से इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसी किसी रिपोर्ट की जानकारी नहीं है।

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भूवैज्ञानिकों का कहना है कि चार साल में चट्टानों की स्थिति में ज्यादा बदलाव नहीं होता, लेकिन पानी के रिसाव की संभावना बढ़ सकती है। 2020 में हुए एक और अध्ययन में भी इस सुरंग से जुड़ी खामियां पाई गई थीं। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के पूर्व महानिदेशक मंडपल्ली राजू और जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड के भूविज्ञानी ऋतुराज देशमुख के शोध पत्र के मुताबिक, सुरंग का निर्माण बिना पूरी जांच-पड़ताल के शुरू कर दिया गया था। चूंकि सुरंग टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट के अंतर्गत आती है, इसलिए यहां ड्रिलिंग और अन्य जांच की अनुमति नहीं थी, जिससे निर्माण से पहले की ज़रूरी जानकारी नहीं मिल पाई।

रिपोर्ट के अनुसार, सुरंग बनाने का काम “उपलब्ध डेटा, श्रीशैलम लेफ्ट बैंक अंडरग्राउंड पावर स्टेशन के अनुभव, हवाई फोटो अध्ययन और रिमोट सेंसिंग तकनीकों” के आधार पर किया गया था। इस हादसे में जान गंवाने वालों की पहचान सनी सिंह, गुरप्रीत सिंह (रॉबिन्स टनल बोरिंग मशीन कंपनी) और मनोज कुमार, श्रीनिवास, संदीप साहू, संतोष साहू, अनुज साहू और जगत खेस (जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड) के रूप में हुई है।