तेलंगाना की राजनीति में इस बात को लेकर शोर मचा हुआ है कि के. चंद्रशेखर राव (KCR) की सरकार के दौरान विपक्षी राजनीतिक दलों के नेताओं की बड़े पैमाने पर जासूसी और निगरानी की गई थी। द इंडियन एक्सप्रेस ने इस मामले में लगातार कई रिपोर्ट्स प्रकाशित की हैं।
इस मामले में ताजा और बड़ी जानकारी यह है कि 4 दिसंबर 2023 की रात, 8:34 बजे से 9:34 बजे के बीच, हैदराबाद में स्थित तेलंगाना की Special Intelligence Branch (SIB) के CCTV कैमरों को बंद कर दिया गया था।
इस एक घंटे के दौरान 62 हार्ड डिस्क को तोड़कर नदी में फेंक दिया गया। दिलचस्प बात यह है कि 3 दिसंबर, 2023 को ही तेलंगाना विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे।
KCR के शासन में तेलंगाना में 600 लोगों की फोन टैपिंग का आरोप
BRS सरकार के कार्यकाल में हुई जासूसी
पूरा मामला यह है कि भारत राष्ट्र समिति (BRS) सरकार के कार्यकाल के दौरान (2014–2023) में SIB ने करीब 600 लोगों के फोन टैप किए और निगरानी की। जिन लोगों की निगरानी की गई उनमें विरोधी राजनीतिक दलों के नेताओं के अलावा, ब्यूरोक्रेट्स, बिजनेसमैन, हाई कोर्ट के जज, उनके लाइफ पार्टनर, ड्राइवर और बचपन के दोस्त भी शामिल हैं। इसके पीछे मकसद विधानसभा चुनाव में BRS को जीत दिलाना और विरोधियों पर नजर रखना था।
राज्य में कांग्रेस की सरकार आने के बाद इस मामले की जांच हैदराबाद पुलिस कर रही है।
हैदराबाद पुलिस की जांच में क्या पता चला?
इस हाई प्रोफाइल मामले की जांच कर रहे अफसरों के मुताबिक, हार्ड डिस्क को पूरी तरह नष्ट करने का आदेश उस वक्त SIB के चीफ रहे टी. प्रभाकर राव ने दिया था। बताना जरूरी होगा कि राव ने 4 दिसंबर, 2023 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसी दिन कांग्रेस ने सत्ता संभाली थी और BRS की सरकार से विदाई हुई थी।
KCR की सरकार में निशाने पर थे रेवंत रेड्डी; करीबियों की भी होती थी ‘निगरानी’
जांच में जुटे अफसरों के मुताबिक, अधिकतर डिस्क में कई नेताओं के प्रोफाइल, टेलीफोन पर की गई बातचीत और ऑनलाइन चैट थीं लेकिन कुछ डिस्क में सीपीआई (माओवादी) से जुड़ा डेटा भी था और इसे ही SIB को इकट्ठा करना था।
केंद्रीय मंत्री बंडी संजय कुमार भी हुए जासूसी के शिकार
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और तेलंगाना में बीजेपी के बड़े नेता बंडी संजय कुमार की भी जासूसी हुई। उन्होंने शुक्रवार को इस मामले में हैदराबाद पुलिस के सामने गवाही दी और दावा किया कि राज्य में कुल 6500 हजार लोगों के फोन टैप किए गए। संजय कुमार ने कहा कि उनके अलावा रेवंत रेड्डी और BRS के कई विधायकों के भी फोन टैप किए गए।
क्या है ‘RR Module’?
बताना जरूरी होगा कि जांच में जुटे अफसरों ने बताया था कि उस दौरान SIB कार्यालय में तैनात डीएसपी डी. प्रणीत राव और उनकी टीम ने रेवंत रेड्डी के परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों, करीबी लोगों और पार्टी से जुड़े लोगों का प्रोफाइल तैयार किया था और इसे ‘RR Module’ का नाम दिया गया था।
अफसरों के मुताबिक, जिन लोगों ने हार्ड डिस्क को नष्ट किया उसमें SIB द्वारा दशकों से इकट्ठा किया गया बेहद जरूरी डेटा भी था। डेटा खत्म होने से आंतरिक सुरक्षा को नुकसान हुआ है। इनमें से 36 डिस्क Special Operations Team (SOT) के पास थीं। SOT SIB निर्देश पर काम करती थी।
SOT के चीफ थे डी. प्रणीत राव
SOT के चीफ डी. प्रणीत राव थे जो SIB में डिप्टी एसपी भी थे। उन्हें इस केस में गिरफ्तार किया गया था लेकिन अभी वह जमानत पर हैं। डी. प्रणीत राव की टीम के पास 3 कमरे थे जिनमें कुल 11 कर्मचारी थे। इस टीम के पास 17 डेस्कटॉप, 2 लैपटॉप, 2 फोन नंबर और हाई-स्पीड इंटरनेट था। SOT का काम टेलीकॉम कंपनियों को पत्र लिखकर कॉल इंटरसेप्ट करवाना था।
SIB में तैनात एक पुलिसकर्मी ने मामले की जांच के दौरान हैदराबाद पुलिस को बताया कि उसे ऐसे फोन नंबरों को भी इंटरसेप्ट किए जाने वाली सूची में जोड़ने के लिए मजबूर किया गया, जिनका नक्सलवाद से कोई लेना-देना नहीं था।
SOT की टीम को दिए थे तीन सॉफ्टवेयर
एक अहम जानकारी यह भी सामने आई है कि SOT ने निगरानी करने के लिए हैदराबाद के एक प्राइवेट सर्वेिलांस ऑपरेटर की मदद ली थी। इस कंपनी ने SOT की टीम को तीन सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराए थे जिनसे तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे- X, फेसबुक , इंस्टाग्राम, यूट्यूब और स्नैपचैट आदि से डेटा इकट्ठा किया जाता था।
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