Telangana Phone-Tapping Case: तेलंगाना की राजनीति में इस तरह के आरोपों को लेकर बवाल मचा हुआ है कि पिछली भारत राष्ट्र समिति (BRS) सरकार ने विपक्षी नेताओं के फोन टैप किए थे। इस मामले में जांच के बाद कई अहम बातें सामने आई हैं। मामला लंबा है और आपको पूरी बात आसान भाषा में समझाते हैं।
आरोप यह है कि BRS सरकार के कार्यकाल के दौरान (2014–2023) में तेलंगाना की Special Intelligence Branch (SIB) ने करीब 600 लोगों के फोन टैप किए और निगरानी की। यह पूरी तरह गैर कानूनी था। दिसंबर, 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में तेलंगाना की सत्ता से BRS की विदाई हो गई थी।
किन लोगों के फोन टैप हुए?
जिन लोगों के फोन टैप हुए उनमें राजनीतिक दलों के नेताओं के अलावा, ब्यूरोक्रेट्स, बिजनेसमैन, हाई कोर्ट के जज, उनके लाइफ पार्टनर, ड्राइवर और बचपन के दोस्त भी शामिल थे।
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मामले का पता कैसे चला?
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह पूरा मामला तब सामने आया जब सर्विस प्रोवाइडर रिलायंस जिओ की ओर से SIB को एक चिट्ठी भेजी गई। यह चिट्ठी 6 दिसंबर 2023 को SIB के DIG को भेजी गई थी। इससे 3 दिन पहले ही राज्य में नई यानी कांग्रेस की सरकार बनी थी।
चिट्ठी में क्या पूछा गया था?
इस चिट्ठी में पूछा गया था कि क्या रिलायंस जिओ इन्फोकॉम लिमिटेड को कुछ फोन नंबरों का लीगल इंटरसेप्शन या सर्विलांस जारी रखना चाहिए। यह फोन नंबर 16 नवंबर से लेकर 30 नवंबर 2023 तक लीगल इंटरसेप्शन के दायरे में थे। सीधी भाषा में कहें तो इन नंबरों की निगरानी की जा रही थी और इस दौरान तेलंगाना में विधानसभा चुनाव हो रहे थे।
इस तरह की चिट्ठियों को Reconciliation Letters कहा जाता है और यह 15 दिन में आती हैं। इसमें पूछा जाता है कि क्या आगे निगरानी को जारी रखा जाए? निगरानी के लिए कानूनी अनुमति की जरूरत होती है लेकिन जैसे ही तेलंगाना में सरकार बदली तो इस मामले का खुलासा हो गया।
इसके बाद पुलिस ने टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स के द्वारा भेजे गए पुराने पत्रों की जांच की। इसमें ऐसे लोगों की सूची सामने आई जिनकी कथित तौर पर निगरानी की गई थी।
कौन-कौन हैं आरोपी?
इस मामले में SIB के पूर्व चीफ और आईपीएस अफसर टी. प्रभाकर राव, डिप्टी एसपी डी. प्रणीत राव, एडिशनल एसपी एम. थिरुपथन्ना और एन. भुजंग राव, पूर्व एसपी पी. राधाकिशन राव और एक टीवी चैनल के मालिक ए. श्रवण कुमार राव आरोपी हैं।
इस मामले में पहली शिकायत 10 मार्च, 2024 को तब हुई जब SIB के एक एडिशनल एसपी ने हैदराबाद के पंजागुट्टा पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई कि DSP प्रनीत राव ने गैरकानूनी तरीके से निगरानी की और सबूतों को मिटा दिया। इस मामले में 8 जून 2024 को चार्जशीट दाखिल की गई थी।
Indian Telegraph Act, 1885 क्या कहता है?
Indian Telegraph Act, 1885 के मुताबिक, लोगों के हित और इमरजेंसी की स्थिति में फोन टैपिंग की अनुमति है लेकिन इसमें सही प्रक्रिया और मंजूरी का पालन किया जाना चाहिए।
BRS की जीत के लिए की गई निगरानी
जांच से जुड़े लोगों और चार्जशीट के मुताबिक, ऐसा विधानसभा चुनाव में BRS की जीत को सुनिश्चित करने के लिए किया गया था और इसके लिए ही विपक्षी नेताओं और विरोधियों पर नजर रखी जा रही थी। BRS के चीफ के. चंद्रशेखर राव दो बार तेलंगाना के मुख्यमंत्री रहे और इस दौरान राज्य के इंटेलिजेंस विभाग के मुखिया भी वही थे।
सीधी भाषा में समझें तो BRS के चुनाव हारते ही इस पूरे मामले का पता चला और 3 दिसंबर, 2023 को जब चुनाव नतीजे घोषित हुए तो इसके अगले ही दिन SIB के चीफ प्रभाकर राव ने इस्तीफा दे दिया। जांच कर रहे अफसरों के मुताबिक, उनके निर्देश पर SIB के ऑफिस से हार्ड डिस्क को नष्ट कर दिया गया। कुछ हार्ड डिस्क को हैदराबाद की मुसी नदी से बरामद किया गया था। इसमें BRS के विरोधियों के राजनीतिक जीवन से जुड़ी जानकारियां थीं।
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किस-किस की जासूसी की गई?
इस मामले में हैदराबाद के पूर्व मेयर और बीआरएस विधायक और मौजूदा वक्त में कांग्रेस नेता तीगला कृष्ण रेड्डी, गडवाल विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की उम्मीदवार रहीं सरिता तिरुपथैया, कोरुट्ला से कांग्रेस नेता जुव्वाडी नरसिंह राव, कांग्रेस विधायक चौधरी वामसी कृष्णा, कांग्रेस विधायक कवमपल्ली सत्यनारायण, बीआरएस एमएलसी शंबीपुर राजू, कांग्रेस नेता गली अनिल कुमार आदि का नाम शामिल है।
रिलायंस जियो इंफोकॉम लिमिटेड ने द इंडियन एक्सप्रेस के सवालों का जवाब नहीं दिया।
द इंडियन एक्सप्रेस ने इस मामले में सभी छह आरोपियों से संपर्क किया। एम. थिरुपथन्ना के वकील मोहित राव ने कहा कि फोन इंटरसेप्ट किए जाने का हैदराबाद पुलिस का दावा गलत है। प्रभाकर राव की वकील आकृति जैन ने कहा कि SIB प्रमुख रहते हुए राव की निगरानी में कोई भूमिका नहीं थी।
BRS ने क्या कहा?
BRS के विधान पार्षद और प्रवक्ता दसौजू श्रवण कुमार कहते हैं कि असामाजिक तत्वों पर लगाम लगाने के लिए निगरानी की जाती है और यह सब कानून के मुताबिक किया गया था। उन्होंने कहा कि इस मामले में हैदराबाद पुलिस मौजूदा मुख्यमंत्री के इशारे पर काम कर रही है और इसका कोई नतीजा नहीं निकलेगा।
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