Telangana MLA Poaching Case: तेलंगाना के विधायकों की खरीद फरोख्त के मामले को सीबीआई के हवाले करने के पीछे हाईकोर्ट ने तर्क दिया कि जब सीएम के चंद्रशेखऱ राव ने सरेआम आरोपियों कि निंदा करके उनको दोषी ठहराया तो हमें लगा कि राज्य सरकार की SIT मामले की निष्पक्ष जांच नहीं कर पाएगी। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए केस को सीबीआई के हवाले किया गया।
ध्यान रहे कि मामले में बीजेपी के दिग्गज बीएल संतोष को भी SIT ने आरोपी बनाया है। लेकिन एंटी करप्शन ब्यूरो की एक विशेष अदालत ने छह दिसंबर को SIT की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें संतोष और तीन अन्य को मामले में आरोपी बनाया गया था।
तेलंगाना पुलिस ने TRS (अब BRS) के 4 विधायकों को खरीदने की कोशिश का खुलासा किया था। साइबराबाद पुलिस के मुताबिक एक फार्म हाउस की तलाशी के दौरान 3 लोगों को अरेस्ट किया गया। ये तीनों केसीआर के विधायकों को खरीदने आए थे। इनके पास से नकदी और चेक भी बरामद किए गए। TRS ने इस पूरे मामले में बीजेपी को दोषी ठहराया। TRS के जिन विधायकों को खरीदने की कोशिश की गई, उनमें गुववाला बलाराजू, बीरम हर्षवर्धन, पायलट रोहित रेड्डी, रेगा कंथाराव शामिल हैं।
खरीद फरोख्त का मामला सामने आने के बाद कई नाटकीय घटनाक्रम सामने आए। तेलंगाना पुलिस ने बीजेपी नेता बीएल संतोष पर शिकंजा करने की कोशिश की तो बीजेपी ने मामले की जांच केंद्रीय एजेंसी से कराने की दरखास्त हाईकोर्ट में की। पहले हाईकोर्ट ने SIT को जांच करने का मौका दिया। लेकिन फिर जांच सीबीआई के हवाले कर दी गई।
साइबराबाद पुलिस का दावा है कि गुप्त सूचना के आधार पर अजीज नगर के एक फार्म हाउस पर छापेमारी की तो नकदी और चेक बरामद हुए। पुलिस का दावा है कि विधायकों की डील 100 करोड़ रुपए से अधिक की भी हो सकती थी। TRS ने ट्विटर पर वीडियो शेयर किया था। इसमें होटल व्यवसायी नंदू दिखे। नंदू पर ही विधायकों को खरीदने के आरोप लगे हैं। TRS ने नंदू की केंद्रीय मंत्री किशन रेड्डी के साथ फोटो भी शेयर की थी।