केंद्र की मोदी सरकार नक्सलियों के खिलाफ लगातार मजबूती से अभियान चला रही है। 31 मार्च 2026 नक्सलियों के खत्म होने की डेडलाइन है। इस बीच तेलंगाना के डीजीपी ने बड़ा बयान दिया है। तेलंगाना के डीजीपी ने मंगलवार को कहा कि 2025 में सबसे ज़्यादा माओवादियों ने सरेंडर किया और यह आंदोलन खत्म हो गया है। DGP बी शिवधर रेड्डी ने कहा कि इस साल 509 माओवादियों ने सरेंडर किया, जिसमें तेलंगाना के 23 लोग शामिल हैं। DGP, ने 2025 के लिए पुलिस की सालाना रिपोर्ट जारी की। उन्होंने कहा कि यह लगातार माओवाद विरोधी अभियानों और पुनर्वास प्रयासों को दिखाता है।

आंध्र प्रदेश में 2025 में सात मुठभेड़ हुईं, जिसमें सीनियर कमांडर माडवी हिडमा समेत 18 माओवादी मारे गए। जबकि 9 माओवादी कैडर गिरफ्तार किए गए और 49 माओवादियों ने सरेंडर किया। आंध्र प्रदेश के DGP हरीश कुमार गुप्ता ने कहा कि अब ध्यान साइबर अपराधों और ड्रग्स तस्करी से निपटने पर चला गया है।

किसने किया सरेंडर?

अधिकारियों ने कहा कि अक्टूबर में तेलंगाना राज्य समिति के तीन सीनियर सदस्यों (SCMs) के सरेंडर करने से कैडरों के और ज़्यादा सरेंडर करने को बढ़ावा मिला, मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ के, जो तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के नेताओं के समर्थन पर निर्भर थे। तेलंगाना के DGP के अनुसार यह राज्य की पुनर्वास नीति थी जिसने अधिकांश नेताओं और कैडरों को सरेंडर करने के लिए प्रोत्साहित किया क्योंकि माओवादी आंदोलन कमजोर पड़ रहा था। 10 अक्टूबर को दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (DKSZC) के तहत दक्षिण बस्तर डिवीजनल कमेटी (DVC) के प्रभारी कुनकाटी वेंकटैया; जनथाना सरकार, दक्षिण बस्तर DVC के प्रभारी थोडेम गंगा और DKSZC में चेतना नाट्य मंच (CNM) के प्रभारी मोगिलीचेरला वेंकटराजू ने DGP के सामने सरेंडर कर दिया।

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माओवादी आंदोलन खत्म- डीजीपी

डीजीपी ने कहा, “माओवादी विचारधारा अब प्रासंगिक नहीं रही और नेता और कैडर सशस्त्र संघर्ष से निराश हो गए हैं। वैचारिक मतभेदों के कारण अंदरूनी सत्ता संघर्ष हैं, जिसने आंदोलन को और कमजोर कर दिया है। यह अब और नहीं चल सकता। माओवादी आंदोलन खत्म हो गया है।” उन्होंने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ में माओवादियों के खिलाफ लगातार सुरक्षा अभियानों ने कई लोगों को तेलंगाना में सरेंडर करने के लिए मजबूर किया।

क्या है सरेंडर नीति?

डीजीपी ने राज्य की सरेंडर नीति को भी श्रेय दिया, जिसमें समाज में फिर से शामिल होने में मदद करने के लिए 20 लाख रुपये का इनाम शामिल है। अधिकारियों ने अनुमान लगाया कि तेलंगाना से संबंधित 60-70 मध्यम स्तर के नेता और कैडर, जो अभी भी अंडरग्राउंड हैं, वह अगले साल सरेंडर कर देंगे।