तेलंगाना में के. चंद्रशेखर राव (KCR) की सरकार के दौरान मौजूदा मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी, उनके परिवार के लोगों और करीबियों की जासूसी की गई थी। The Indian Express की जांच में पता चला है कि यह निगरानी करीब ढाई साल तक हुई थी। रेड्डी जुलाई, 2021 से दिसंबर, 2023 तक तेलंगाना कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर थे। KCR भारत राष्ट्र समिति (BRS) के प्रमुख भी हैं।
BRS सरकार के कार्यकाल के दौरान (2014–2023) में तेलंगाना की Special Intelligence Branch (SIB) ने करीब 600 लोगों के फोन टैप किए और निगरानी की।
रेवंत रेड्डी के मामले में क्या आरोप हैं?
दिसंबर, 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने BRS को हरा दिया था और राज्य में सरकार बनाई थी। सत्ता में आने के बाद कांग्रेस ने निगरानी के इस मामले की जांच की। इस मामले में सीधा आरोप यह है कि विरोधी राजनीतिक दलों के नेताओं के अलावा, ब्यूरोक्रेट्स, बिजनेसमैन, हाई कोर्ट के जज, उनके लाइफ पार्टनर, ड्राइवर और बचपन के दोस्तों की भी निगरानी की गई। ऐसा विधानसभा चुनाव में BRS को जीत दिलाने के लिए किया गया था और इसके लिए ही विपक्षी नेताओं के साथ ही BRS के बागियों पर भी नजर रखी जा रही थी।
KCR के शासन में तेलंगाना में 600 लोगों की फोन टैपिंग का आरोप
मामले की जांच कर रहे अफसरों के मुताबिक, उस दौरान Special Intelligence Branch (SIB) कार्यालय में तैनात डीएसपी डी. प्रणीत राव और उनकी टीम ने रेवंत रेड्डी के परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों, करीबी लोगों और पार्टी से जुड़े लोगों का प्रोफाइल तैयार किया था और इसे ‘RR Module’ का नाम दिया गया था।
SIB के पूर्व चीफ और अन्य पर है जासूसी का आरोप
बताना होगा कि जिन लोगों पर जासूसी और निगरानी करने का आरोप है, उनमें से प्रणीत राव भी एक हैं और फिलहाल जमानत पर हैं। यह आरोप है कि उन्होंने उसे दौरान KCR सरकार के दौरान SIB के चीफ रहे प्रभाकर राव के कहने पर ऐसा किया था। प्रभाकर राव और प्रणीत राव के अलावा एडिशनल एसपी एम. थिरुपथन्ना और एन. भुजंग राव, पूर्व एसपी पी. राधाकिशन राव और एक टीवी चैनल के मालिक ए. श्रवण कुमार राव पर भी जासूसी और निगरानी करने का आरोप है।
प्रभाकर राव की वकील आकृति जैन का कहना है कि राव सम्मानित पुलिस अधिकारी हैं और उन्होंने SIB के चीफ रहते हुए कोई अवैध निगरानी नहीं की।
जासूसी के आरोपों को लेकर क्या कहते हैं अफसर?
मामले की जांच कर रहे अफसरों का कहना है कि रेवंत रेड्डी के संपर्क में जितने भी लोग थे उनके प्रोफाइल बनाकर एक साथ रखे गए थे। इसमें उनके नाम, पते, गाड़ियों के नंबर की जानकारी और वे कहां आते-जाते हैं, इसकी जानकारी शामिल थी।
उस दौरान रेवंत रेड्डी तेलंगाना विधानसभा में विपक्ष के नेता थे और उन्होंने KCR के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ था। वह न सिर्फ KCR बल्कि राजनीति में सक्रिय उनके परिवार के बाकी सदस्यों के भी आलोचक थे। उस दौरान रेवंत रेड्डी ने कई बार कहा था कि उनकी निगरानी की जा रही थी।
चुनावी चंदे से रोकने की कोशिश
जांच में यह भी सामने आया है कि KCR की सरकार के दौरान BRS के राजनीतिक विरोधियों की जासूसी इसलिए भी की गई कि उन्हें चुनाव के दौरान चंदा न मिल सके। जासूसी और निगरानी कर रहे लोग चुनावी चंदे से जुड़ी जानकारी नेता और पुलिस को देते थे जिससे वे विपक्षी राजनीतिक दलों के नेताओं और उनके समर्थकों के पैसे को जब्त कर सकें। जैसे 2022 के मुनुगोड़े उपचुनाव में बीजेपी के कुछ नेताओं से 1 करोड़ रुपये की नकदी ज़ब्त की गई थी।
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हैदराबाद पुलिस का कहना है कि कम से कम 11 गवाह ऐसे हैं जिन्होंने उस दौरान नेताओं के बीच हुई बातचीत को सुना था। यह गवाह टेलीफोन इंटरसेप्शन में लॉगर के रूप में काम कर रहे थे। उन्हें काम यह दिया गया था कि वे सीपीएम या उग्र वामपंथियों से जुड़े लोगों की निगरानी करें और यही SIB का काम था लेकिन इसके बजाय वे राजनीतिक लोगों की निगरानी करने लगे।
BRS ने किया आरोपों से इनकार
BRS का कहना है कि KCR की सरकार के दौरान किसी भी तरह की कोई अवैध निगरानी नहीं की गई। पार्टी के एमएलसी और प्रवक्ता दासोजू श्रवण कुमार का कहना है कि मुख्यमंत्री के इशारे पर हैदराबाद पुलिस एक ऐसे अभियान में लगी हुई है जिसका कोई नतीजा नहीं निकलेगा।
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