मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने आरोप लगाया है कि उन्हें भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC) में व्याख्यान देने से रोका गया, क्योंकि प्रशासन ने अंतिम समय में बैठक रद्द कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गोधरा कांड के बाद हुए दंगों से जुड़े एक मामले में सीतलवाड़ को पिछले महीने नियमित जमानत दी थी। सीतलवाड़ पर आरोप है कि कुछ प्रभावशाली लोगों को फंसाने के लिए उन्होंने जाली सबूत गढ़े थे।
ब्रेक द साइलेंस नाम के ग्रुप ने बुधवार शाम को आईआईएससी परिसर में कार्यक्रम का आयोजन किया था। यह कार्यक्रम सीसीई व्याख्यान सभागार में होना था। सीतलवाड़ ने एक वीडियो में कहा कि अधिकारियों ने उन्हें सभागार में प्रवेश की अनुमति देने से अंतिम समय में इनकार कर दिया। उन्हें आईआईएससी भोजनालय के बाहर बगीचे में बैठक करने के लिए मजबूर होना पड़ा। आईआईएससी से इस मामले में अभी प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
आखिरी मिनट में लिया प्रशासन ने बैठक रद्द करने का फैसला
उन्होंने कहा कि आईआईएससी परिसर में 40 से अधिक प्रोफेसर और छात्र व्याख्यान में शामिल हुए। लेकिन उनको बेंगलुरु के आईआईएससी में कल बहुत ही खराब अनुभव हुआ। कुछ प्रोफेसर और छात्रों ने उनको सीसीई हॉल में सांप्रदायिक सद्भाव और न्याय विषय पर एक व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया था। उनका कहना है कि प्रशासन ने बैठक रद्द करने का फैसला आखिरी मिनट में लिया।
एंट्री नहीं मिला तो 40 से अधिक लोग बगीचे में बैठे
सीतलवाड़ ने कहा कि आईआईएससी प्रशासन ने उन्हें संस्थान में प्रवेश करने से रोकने की भी कोशिश की। उन्होंने कहा कि बहरहाल 40 से अधिक छात्र और प्रोफेसर कैंटीन के बाहर बगीचे में बैठे। उन्होंने कई मसलों पर पर गहन चर्चा की। सीतलवाड़ ने कहा कि 21वीं सदी के आधुनिक भारत में सांप्रदायिक सद्भाव एवं शांति वर्जित शब्द नहीं हो सकते। उनका कहना है कि संस्थान ने जो कुछ किया वो किसी भी नजरिये से स्वीकार करने वाली चीज नहीं है। वो केवल अपनी बात कहने के लिए वहां गई थीं। उनका किसी भी तरह का कोई एजेंडा नहीं था।