Triple Talaq SC Judgement: तीन तलाक के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के जजों में मतभेद दिखा। जस्टिस नरीमन, ललित और कुरियन ने ट्रिपल तलाक को असंवैधानिक बताया। तीनों ने मिलकर जस्टिस नजीर और चीफ जस्टिस खेहर की बात पर अपनी असहमति जताई। इससे पहले चीफ जस्टिस खेहर ने कहा था कि तलाक ए बिद्दत संविधान के आर्टिकल 14,15,21 और 25 का उल्लंघन नहीं करता। सीजीआई ने कहा था कि सरकार को छह महीने के अंदर इसपर कानून बनाना होगा। वकील सैफ मोहम्मद ने बताया कि सीजीआई खेहर ने कहा था कि तीन तलाक पर्सनल लॉ बोर्ड का मामला है और इसको संविधान पीठ नहीं देख सकती। वहीं जस्टिस कुरियन ने कहा कि तीन तलाक इस्लाम का जरूरी हिस्सा नहीं है। जस्टिस नरीमन ने कहा कि तीन तलाक 1934 एक्ट का हिस्सा है और इसको संविधान तौर पर देखा जा सकता है। उन्होंने इसको असंवैधानिक करार दिया।

जस्टिस जेएस खेहर ने इंस्टैंट तलाक को सुन्नियों का आंतरिक भाग बताते हुए कहा कि तलाक-ए-इबादत सुन्नी समुदाय में पिछले 1000 सालों से चलता आ रहा है। तलाक-ए-इबादत में पुरुषों को इजाजत दी गई है कि वे तीन तलाक कह सकते हैं।  इस मामले पर कानून बनते समय सभी राजनीतिक पार्टियों को राजनीति को साइड में रखना चाहिए। मैं आशा करता हूं कि विधान मंडल मुस्लिम कानून को ध्यान में रखते हुए नया कानून तैयार करे। वहीं अन्य जस्टिस ने इसे असंवैधानिक करार दिया। जस्टिस के जोसेफ ने कहा ट्रिपल तलाक कानून में बहुत बेकार है। जस्टिस नरीमन और जस्टिस ललित ने भी तीन तलाक को अंसंवैधानिक करार देते हुए कहा कि कुरान में तीन तलाक का जिक्र नहीं है।

बता दें कि पिछले दिनों तीन तलाक के कई मामले सामने आए थे। मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी को तीन बार तलाक बोलकर उसे अपने से अलग कर देते थे। इसके लिए मुस्लिम महिलाओं ने आवाज उठाई थी। फिर केंद्र सरकार इसके खिलाफ आई। कई मुस्लिम महिलाओं ने प्रधानमंत्री मोदी को भी चिठ्ठी लिखी थी। फोन पर, चिठ्ठी भेजकर तलाक देने के भी मामले पिछले दिनों सामने आए थे।

दुनिया में कुल 21 मुस्लिम देश हैं। इसमें से ज्यादातर तीन तलाक की प्रथा को खत्म कर चुके हैं। पाकिस्तान ने भी इसको मान्यता नहीं दी हुई।