तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी) के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन.चंद्रबाबू नायडू को बड़ा झटका लगा है। गुरुवार (20 जून, 2019) को उनकी पार्टी के चार राज्यसभा सांसदों ने बगावत कर दी और बीजेपी का हिस्सा बन गए। इनमें वाई.एस चौधरी, टी.जी वेंकटेश और सीएम रमेश शामिल हैं। हालांकि, इनमें से तीन सांसदों ने ही बीजेपी कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में पार्टी सदस्यता ली, जबकि चौथे सांसद तबीयत खराब होने के चलते जी.एम राव बाद में भगवा पार्टी का दामन थामेंगे। इससे कुछ देर पहले ये तीन सांसद उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम.वैंकेया नायडू से मिले थे।

वैंकेया नायडू से मुलाकात के दौरान इन सांसदों ने अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय करने की लिखित सूचना उन्हें दी। इस मौके पर टीडीपी छोड़ रहे सांसदों के अलावा बीजेपी कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा व राज्यसभा में बीजेपी के नेता और केंद्रीय मंत्री थावरचंद्र गहलोत भी मौजूद रहे।

टीडीपी सांसद वाईएस चौधरी ने इससे पहले समाचार एजेंसी एएनआई से कहा था, “हां, मैं बीजेपी का हिस्सा बनने जा रहा हूं।” वहीं, टी.जी वेंकटेश भी बोले थे, “हां, मैं टीडीपी छोड़ रहा हूं। मैं बीजेपी में जाऊंगा। मैं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और भारतीय जनता युवा मोर्चा का हिस्सा रह चुका हूं।” बता दें कि एबीवीपी बीजेपी की छात्र इकाई है, जबकि युवा मोर्चा उसकी युवा इकाई है।

बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में टीडीपी के सांसद भगवा पार्टी में शामिल हो गए।

दिल्ली में चौधरी, वेंकटेश और सी.एम रमेश राज्यसभा के सभापति से मिले। इन्होंने इसी बीच  टीडीपी (लेजिस्लेचर पार्टी) के बीजेपी में विलय को लेकर संकल्प पत्र भी जारी किया है। यह रही इस पत्र की प्रतिः

बता दें कि टीडीपी के राज्यसभा में कुल छह सांसद थे, जिनमें से चार सदस्य पार्टी छोड़ चुके हैं। वे बीजेपी का हिस्सा बन चुके हैं। वहीं, टीडीपी चीफ चंद्रबाबू नायडू को यह झटका तब लगा है, जब वह सपरिवार भारत के बाहर छुट्टियों मनाने गए हैं। इस दल की बीजेपी में शामिल होने की अगुवाई कर रहे वाईएस चौधरी को नायडू का काफी करीबी माना जाता रहा है।

2014 में जब केंद्र में मोदी सरकार बनी थी, तब टीडीपी की तरफ से चौधरी को मंत्री पद मिला था। हालांकि, 2018 में फरवरी में बीजेपी से रिश्ते खराब होने को लेकर टीडीपी एनडीए से अलग हो गई थी और इन्हें भी इस्तीफा देना पड़ गया था।

वैसे भी टीडीपी पर पहले से ही संकट के बादल छाए हुए हैं, क्योंकि लोकसभा में 25 में से उसने 22 सीटें गंवा दीं, जबकि विधानसभा में 175 सीटों में 151 पर उसे हार का सामना करना पड़ा था। वहीं, सीएम वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के जगनमोहन रेड्डी बने।