बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तस्लीमा नसरीन ने सोशल मीडिया के जरिए मुस्लिम पर्सनल बोर्ड पर निशाना साधा है। उन्होंने लिखा, ”भारतीय मुस्लिम लॉ बोर्ड में बैठे महिला विरोधी कुछ लोग तीन तलाक, बहुविवाह जैसी महिला विरोधी चीजों को बनाए रखना चाहते हैं। उन्हें कहा- फक ऑफ।” इसके बाद किए गए दूसरे ट्वीट में लिखा, ”यदि यूनिफॉर्म सिविल कोड देश के लिए ठीक नहीं है तो लोकतंत्र, धर्म निरेपक्षता, समानता और न्याय भी देश के लिए ठीक नहीं है।” तस्लीमा पहले भी इस तरह के मामलों में मुस्लिम संगठनों की आलोचना कर चुकी है। ढाका हमले के वक्त भी आतंकियों को हमलावर लिखने पर उन्होंने कहा था कि इन्हें मुस्लिम हमलावर लिखा जाना चाहिए। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड(एआईएमपीएलबी) ने तीन तलाक के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा और कानून आयोग के यूनिफॉर्म सिविल कोड की प्रश्नावली को खारिज कर दिया था। साथ ही सरकार पर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की साजिश रचने का आरोप भी लगाया।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- ‘तीन तलाक इस्लाम में एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है’
बोर्ड ने गुरुवार को कहा, ”इस देश के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड सही नहीं है। इस देश में बहुत सारी संस्कृतियां हैं, जिनकी इज्ज़त की जानी चाहिए। हम संविधान द्वारा किए गए समझौते के तहत इस देश में रह रहे हैं। संविधान ने ही हमें जीने और अपने धर्म का पालन करने का अधिकार दिया है।” मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमान ने कहा, ”ऐसा लगता है कि मोदी सरकार यूनिफार्म सिविल कोड को अपने 30 महीने के कार्यकाल की असफलताओं को छुपाने के लिए इस्तेमाल कर रही है। यह नई लड़ाई है जिसे सरकार छेड़ रही है। सरहद तो संभल नहीं रही, अंदरूनी जंग की तैयारी कर रही हैं।”
केंद्र सरकार ने पलटवार करते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को राजनीति न करने को कहा है। केन्द्रीय मंत्री एम वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को कहा कि यह मामला लैंगिक समानता और न्याय का है। लिहाजा, इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। वेंकैया नायडू ने कहा, “अगर आप विधि आयोग का बहिष्कार करना चाहते हैं तो यह आपकी मर्जी है लेकिन आप अपने विचार दूसरों पर नहीं थोप सकते हैं और न ही इसे राजनीतिक बना सकते हैं।”
जिलानी ने कहा- तीन तलाक पर रोक की कोशिश यूनिफॉर्म सिविड कोड लागू करने की साजिश का हिस्सा