पाकिस्तान में जन्मे कनाडाई लेखक तारिक फतेह ने शनिवार को कहा कि पांच सौ और हजार के पुराने नोटों का चलन बंद करने के मोदी सरकार के फैसले से भारत के खिलाफ पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और जाली नोटों का आवग बंद हुआ है। राजस्थान की राजधानी जयपुर में आयोजित कार्यक्रम ‘जयपुर डायलॉग’ के दौरान फतेह ने कहा कि यह बहुत अच्छा फैसला है। डिजिटल दुनिया में पहली बार नोटों का चलन बंद हुआ है और यह लोगों की जिंदगी बदल देगा। अपने कटु पाकिस्तान विरोधी विचारों के लिए प्रसिद्ध लेखक ने कहा कि इस कदम से पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद को बहुत धक्का लगा है। क्योंकि आतंकी गतिविधियों के लिए धन और जाली नोट बंद हो गए हैं।
संवाद कार्यक्रम के दौरान एक श्रोता के प्रश्न का जवाब देते हुए तारिक फतेह ने कहा कि बलूचिस्तान पाकिस्तान से अलग होने के लिए संघर्षरत है और वह तभी पाकिस्तान जाना चाहेंगे। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सम्मान पाने का हकदार नहीं है और वह तभी पाकिस्तान जाना चाहेंगे, जब पाकिस्तान टूट जाए और बलूचिस्तान स्वतंत्र हो जाए। भारत के साथ पाकिस्तानी रिश्तों को सुधारने की बात करने वालों पर निशाना साधते हुए फतेह ने कहा कि जो भारतीय पाकिस्तान के साथ अच्छे रिश्ते बनाना चाहते हैं, उन्हें पाकिस्तान की वास्तविकता के बारे में बताना चाहिए और अगर उसके बावजूद वे पाकिस्तान के साथ रिश्तों में सुधार चाहते हैं तो इसका मतलब साफ है कि वे भारत हितैषी नहीं हैं। फतेह ने कहा कि ऐसे लोगों को बेनकाब कर देना चाहिए। जो लोग भारत में रह कर भारत से नफरत करते हैं, उन्हें भारत में रहने का कोई हक नहीं है।
उन्हें धक्के देकर बाहर कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के उच्चायुक्त को भी वापस भेज देना चाहिए। तारिक फतेह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला द्वारा नोटों का चलन बंद करने का विरोध करने की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और उमर अब्दुल्ला कालाधन को रोकने के लिए जो निर्णय लिया गया है, उससे क्यों परेशान हैं? ये लोग आम आदमी की समस्याओं के बारे में तो बात कर रहे हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि इन्हें आम आदमी की मुश्किलों के बारे में पता नहीं है। संवाद कार्यक्रम में अमेरिका के हिंदू विद्वान डेविड फ्रेवले ने कहा कि भारत को ‘सॉफ्ट पावर’ पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया की महानतम सभ्यताओं में से एक है। यहां की कला-संस्कृति, विकसित विज्ञान और तकनीकी विश्वभर में विख्यात है। हालांकि, भारत ने अभी तक पूरी तरह अपनी ‘सॉफ्ट पावर’ इस्तेमाल नहीं किया है और नई पीढ़ी पुराने भारत की परंपराओं सेकटाव और दूरी महसूस करती है, जिसे रोकने की आवश्यकता है।
जानिए ATM और बैंकों के बाहर कतारों में खड़े लोग क्या सोचते हैं नोटबंदी के बारे में