तमिलनाडु चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपना मैनिफेस्टो जारी किया तो इसका कवर पेज देखकर कांग्रेस में राहुल के कद का सहज ही अंदाजा हो गया। मेन पेज पर राहुल का फोटो कांग्रेस मुखिया सोनिया के फोटो से ज्यादा बड़ा है। इसे देखकर लगता है कि राहुल ही कांग्रेस की फिलहाल धुरी हैं।
2019 के लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद राहुल गांधी कांग्रेस चीफ से इस्तीफा दे चुके हैं। उसके बाद के दौर में उन्होंने फिर से कांग्रेस अध्यक्ष का पदभार संभालने से भी इनकार कर दिया था, लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि कांग्रेस की राजनीति की धुरी राहुल ही हैं। सोनिया परदे के पीछे रहकर राहुल को प्रमोट कर रही हैं। हालांकि, कांग्रेस के नाराज नेता गांधी परिवार के खिलाफ अभियान छेडे़ हुए हैं। उनकी कोशिश कांग्रेस चीफ की कुर्सी पर गांधी परिवार के अलावा किसी और को बैठाने की है। लेकिन मैनिफेस्टो देखकर लगता है कि फिलहाल राहुल फ्रंटफुट पर खेल रहे हैं।
Congress releases its manifesto for #TamilNaduElections2021 at the party office in Chennai. pic.twitter.com/KfvckCQcj6
— ANI (@ANI) March 16, 2021
कांग्रेस ने मंगलवार को तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के लिए अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष केएस अझगिरी ने कहा कि कांग्रेस सत्ता में आती है तो हर जिले में 500 युवाओं को सरकारी नौकरी के लिए ट्रेनिंग देगी। वहीं युवाओं को रोजगार देने के लिए कई अन्य योजनाएं भी लागू करेगी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हम स्टार्टअप्स और नए उद्यमियों को कम से कम 5 वर्षों के लिए कर में छूट प्रदान करेंगे।
अझगिरी ने कहा, सरकार आने के बाद हम शराब की दुकानों को बंद करने के लिए कदम उठाएंगे। ऑनर किलिंग को रोकने के लिए एक अलग कानून पारित किया जाएगा। पार्टी नीट (NEET) की परीक्षा को खत्म करने के लिए जरूरी कदम उठाएगी। ध्यान रहे कि तमिलनाडु में सभी 234 विधानसभा सीटों पर एक ही चरण में 6 अप्रैल को मतदान करवाया जाएगा। दो फरवरी को अन्य चार राज्यों के साथ तमिलनाडु के नतीजे घोषित होंगे।
गौरतलब है कि सूबे में कांग्रेस डीएमके के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस को यहां 25 सीटें मिली हैं। द्रमुक और कांग्रेस ने गुरुवार को 25 सीटों पर सहमति जताई थी। इन 25 सीटों में से 5 सीटें वो भी हैं, जिनपर कांग्रेस पिछले चुनाव में जीती थी। बीजेपी यहां सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ रही है। कमोवेश कांग्रेस और बीजेपी दोनों की हालत सूबे में एक जैसी है। दोनों क्षेत्रीय पार्टियों पर निर्भर हैं।