Tamil Nadu Custodial death Case: तमिलनाडु में मंदिर के गार्ड अजीत कुमार की हिरासत में मौत का मामले से हंगामा मच गया है। इस मामले को लेकर सियासत तेज हो गई है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने मंगलवार घोषणा की है कि अजीत की हिरासत में मौत का मामला सीबीआई को सौंपा जाएगा। उन्होंने कहा कि इस कदम का उद्देश्य पारदर्शी और विश्वसनीय जांच सुनिश्चित करना है।
तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने कहा कि यह फैसला मद्रास हाई कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद लिया गया है कि सीबी-सीआईडी जांच जारी रह सकती है, लेकिन उनका मानना है कि सीबीआई जांच से मामले में अधिक स्पष्टता आएगी।
स्टालिन ने कहा कि पारदर्शिता और गहन जांच सुनिश्चित करने के लिए मैंने मामले को सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार केंद्रीय एजेंसी के साथ पूरा सहयोग करेगी।
स्टालिन ने व्यक्तिगत रूप से अजीत कुमार के परिवार से भी संपर्क किया। उनके भाई नवीन कुमार को फ़ोन करके स्टालिन ने 28 वर्षीय मंदिर के सिक्योरिटी गार्ड की हिरासत में हुई मौत पर दुख जताया और परिवार के एक सदस्य के लिए सरकारी नौकरी की व्यवस्था करने सहित सभी ज़रूरी सहायता का आश्वासन दिया। स्टालिन ने अजीत की मां मालती से अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए कहा, “सॉरी माँ।”
अजीत कुमार मदापुरम कालीअम्मन मंदिर में सुरक्षा गार्ड के रूप में काम कर रहे थे। उनको पुलिस ने आभूषण चोरी के मामले में पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था। उनके परिवार ने आरोप लगाया है कि पूछताछ के दौरान अजीत को प्रताड़ित किया गया, जिसके कारण उसकी मौत हो गई।
अजित की मौत के बाद तमिलनाडु सरकार ने शिवगंगा एसपी आशीष रावत को “अनिवार्य प्रतीक्षा” पर रखा और रामनाथपुरम एसपी जी चंदीश को अतिरिक्त प्रभार सौंपा। मामले की जांच शुरू में सीबी-सीआईडी को सौंपी गई थी।
हिमाचल के मंत्री ने NHAI अधिकारियों को पीटा, FIR दर्ज; नितिन गडकरी ने मामले का लिया संज्ञान
मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ में सुनवाई के दौरान अधिवक्ता हेनरी टिफागने ने वीडियो और फोटोग्राफिक साक्ष्य प्रस्तुत किए, जिनसे पता चलता है कि अजीत कुमार को प्लास्टिक पाइप और लोहे की छड़ों से पीटा गया था। अदालत ने आभूषण चोरी की मूल शिकायत पर कार्रवाई करने में पुलिस की विफलता पर भी चिंता जताई।
तब से पांच पुलिस कर्मियों को गिरफ़्तार किया गया है। राज्य सरकार ने पुष्टि की है कि 28 जून को छह अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था, और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर मामले को आपराधिक मामले में बदल दिया गया है। यह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 196(2)(ए) के तहत तिरुपुवनम पुलिस स्टेशन में पंजीकृत है, और न्यायिक जांच के लिए भेज दिया गया है।